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प्रदेश से लेकर राष्ट्रस्तर तक गूंजी एरिका के पंच की गूंज

प्रदेश की बेटियां आज हर क्षेत्र में लड़कों के बराबर ही नहीं बल्ि

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Oct 2020 06:15 PM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 05:18 AM (IST)
प्रदेश से लेकर राष्ट्रस्तर तक गूंजी एरिका के पंच की गूंज
प्रदेश से लेकर राष्ट्रस्तर तक गूंजी एरिका के पंच की गूंज

रामेश्वरी ठाकुर, शिमला

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प्रदेश की बेटियां आज हर क्षेत्र में लड़कों के बराबर ही नहीं बल्कि कई क्षेत्रों में आगे निकल गई हैं। बेटियां कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के दम पर परिवार का नाम रोशन कर रही हैं। ऐसा ही कर दिखाया है शिमला की बॉक्सर बेटी एरिका शेखर ने। उनके पंच की गूंज स्कूल स्तर से राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में गूंजी है। निजी स्कूल की पढ़ाई उनके खेल में बाधा बनी तो सरकारी स्कूल में दाखिला ले लिया।

एरिका ने महज 20 वर्ष की आयु में मुक्केबाजी में राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभा का लोहा मनवाया है। एरिका का रुझान बचपन से ही खेलों की तरफ रहा। स्कूल में बास्केटबॉल और एथलेटिक्स में रुचि रखने वाली एरिका ने मुक्केबाजी में साल 2017 में अभ्यास करना शुरू कर दिया। इसके बाद लगातार मेहनत के दम पर इस क्षेत्र में कई उपलब्धियां हासिल की।

साल 2018 में उन्होंने हरियाणा में यूथ नेशनल गेम में हिस्सा लिया और वहां पर कांस्य पदक जीता। इसके बाद वहां पर प्रशिक्षण के लिए इंडिया कैंप में भाग लेना था, लेकिन किसी कारण कैंप में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं मिली तो पिता ने बेटी के खेल के प्रति उत्साह बनाए रखने के लिए उसका दाखिला सरकारी स्कूल पोर्टमोर में करवा दिया। स्कूल ने बेटी को कैंप में जाने और अपने जुनून को कायम रखने के लिए प्रोत्साहित किया। फिर एरिका ने स्कूल की ओर से आयोजित होने वाली सभी मुक्केबाजी की प्रतियोगिताओं में भाग लिया और भोपाल में स्कूलों की राष्ट्रीय मुक्केबाजी स्पर्धा में रजत पदक जीता। इसके बाद जनवरी 2019 में बेटी ने खेलो इंडिया के तहत पुणे में आयोजित मुक्केबाजी प्रतियोगिता में कांस्य पदक झटका। वहां से वापस लौटने के बाद एरिका ने राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता। कॉलेज की पढ़ाई की शुरुआत एरिका ने सेंटर ऑफ एक्सीलेंस कॉलेज संजौली से की। कॉलेज की ओर से कांगड़ा में हुई इंटर कॉलेज बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भी उन्होंने स्वर्ण पदक हासिल किया। अब एरिका का लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश का नाम रोशन करना है।

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परिवार ने दिया पूरा सहयोग

एरिका का कहना है कि उनके पिता और पूरे परिवार ने खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए पूरा सहयोग किया। खेल के लिए स्कूल बदलने से लेकर प्रशिक्षण के लिए घर से बाहर जाने में परिवार ने उन्हें सहयोग किया। उनके पिता पुलिस विभाग में कार्यरत हैं और उनकी माता गृहिणी हैं। उनका एक छोटा भाई भी है, जोकि जमा एक कक्षा में पढ़ रहा है।

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लॉकडाउन में खुद को रखा फिट

लॉकडाउन में जब खेल प्रतियोगिताएं बंद थी तो इस दौरान एरिका ने खुद की फिटनेस का पूरा ख्याल रखा। उन्होंने बताया कि व्यायाम, सुबह की सैर से उन्होंने खुद को फिट रखा। इसके अलावा खेतीबाड़ी में परिवार के साथ काम किया। परिवार कोटखाई क्षेत्र का रहने वाला है।


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