बड़ा सवाल बन गया नशे का कारोबार
शिमला जिला का शायद ही कोई क्षेत्र ऐसा हो जोकि नशे के कारोबार का गवाह न बना हो।
जागरण संवाददाता, शिमला : शिमला जिला का शायद ही कोई क्षेत्र ऐसा हो जोकि नशे के कारोबार का गवाह न बना हो। कई स्कूली बच्चों से लेकर युवा नशे की गिरफ्त में हैं। सख्त कानून के बावजूद नशे पर रोक नहीं लग पाई है। नेताओं ने सिर्फ आश्वासनों से लोगों के दिल जीतने की कोशिश, लेकिन दिन प्रतिदिन ये समस्या अब विकराल रूप धारण करती जा रही है। विधानसभा चुनाव में काफी मुद्दा उठा था, लेकिन फिर भी नशे का कारोबार जिला में कम नहीं हो पाया। हालांकि शिमला शहर में पुलिस की कार्रवाई के बाद कुछ फर्क जरूर पड़ा है। ऊपरी शिमला में स्थिति बहुत खराब है। नेताओं ने लोगों से वोट मांगना शुरू कर दिए हैं तो लोग तो वहीं दूसरी ओर लोगों ने नशे के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं। शिमला जिले से लगते पड़ोसी राज्यों से आसानी से नशे की खेप पहुंच रही है। हैरानी तो इस बात की है कि जिला परिषद की बैठक ने नशे के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर सरकार को भेजा था। वर्ष 2018 में एनडीपीसी एक्ट के तहत 165 एफआइआर दर्ज हुई थीं, जबकि इस साल एक जनवरी से लेकर 31 मार्च तक 59 एफआईआर दर्ज हुई थी। अभी तक प्रतिबंधित दवाओं की ओवरडोज से दो मौतें भी हो चुकी हैं। इसके साथ ही शराब के नशे में मौत के मामलों को आंकड़ा पिछले एक साल में दस से अधिक है। जिला में कोई भी नशा मुक्ति केंद्र भी नहीं है। नशे के आदी का इलाज करवाने के लिए दिल्ली, चंडीगढ़, हरियाणा जाना पड़ता है। चोरी की वारदातों को भी नशेड़ी अंजाम दे चुके हैं।
ऊपरी शिमला के चौपाल, कोटखाई, रोहड़ू, ठियोग, रामपुर में सबसे अधिक नशे का कारोबार चल रहा है। इस कारोबार में महिलाएं भी शामिल हैं। नेपाल मूल की महिलाएं पैडलर के तौर पर कार्य करती हैं। पुलिस के पास लोग सूचना देने से कतराते हैं। इस वजह से पुलिस को तस्करों तक पहुंचने में काफी दिक्कत होती है। पुलिस के जागरूकता अभियान चुनिंदा स्कूलों तक ही सिमट कर रह गया है।
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जिला परिषद की बैठक में उठा था मामला
जिला परिषद सदस्य नीलम सरकैक ने नशे के मामले को त्रैमासिक बैठक में उठाया था। इसके बाद जब पूरे सदन ने नशे पर चर्चा करते हुए कहा कि हर गांव में नशे की चपेट में युवा पीढ़ी है। यही नहीं अब तो लड़कियां भी नशे की आदी हो चुकी हैं। शिमला जिले से लगते पड़ोसी राज्यों से नशे की खेप हिमाचल पहुंच रही है, लेकिन प्रशासन ने कोई बड़ा कदम नहीं उठाया।
वायरल हुआ था वीडियो
कुछ माह पूर्व रोहड़ू के युवक का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें उसने खुद को नशे का आदी बताया था। साथ ही कहा था कि उसे उन सब ठिकानों को पता था, जहां से नशे का कारोबार चलता था। पुलिस ने युवक को हिरासत में लिया था और कई तस्करों को गिरफ्तार किया था। पहली बार शिमला में ऐसा वीडियो वायरल हुआ था। इसके ही कुछ दिन बाद एक ठियोग के युवक से पूछताछ का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें युवक नशे की खेप लेने के लिए आया था।
लड़किया भी नशे की चपेट में
जिले में केवल लड़के ही नशे के आदी नहीं हैं, बल्कि लड़किया भी इसकी चपेट में आ रही हैं। कुछ माह पूर्व कुफरी में एक लड़की मृत मिली थी। पुलिस की जांच में सामने आया था कि जिन लड़कों के साथ शिमला घूमने आई थी वे सब नशे के कारोबार में लंबे समय से सक्रिय थे। शिमला के एक निजी विवि में लड़कियों के नशे की गिरफ्त में होने की कई बार सूचना पुलिस को मिलती रही है।
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बैठक में इस मामले का उठाया था, लेकिन अभी तक बड़ी कार्रवाई नहीं हुई है। ऊपरी शिमला में नशे का कारोबार काफी व्यापक है। प्रशासन और पुलिस के समक्ष मामला उठाया था, लेकिन कोई र्कावाई नहीं हुई है।
-नीलम सरकैक, जिला परिषद सदस्य
थरोला वार्ड शिमला। नशे के कारोबार को कहीं न कहीं संरक्षण प्राप्त है। अगर प्रशासन को समस्या को जड़ से खत्म करना चाहे तो तुरंत कर सकता है, लेकिन प्रशासन की कार्यप्रणाली ही संदेह में है। प्रदेश की भाजपा सरकार नशे पर नकेल कसने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है।
-संजय ठाकुर, अध्यक्ष, शिमला लोकसभा युवा कांग्रेस। जागरूकता अभियान पर व्यर्थ पैसा कर रहे हैं। आज युवाओं की काउंसलिंग करने की जरूरत है। युवाओं को रचनात्मक गतिविधियों से जोड़ना होगा, लेकिन सरकारें कोई ठोस नीति बना ही नहीं पाई हैं। व्यवाहारिक नीतियों के अभाव के कारण नशे का कारोबार फल-फूल रहा है।
-दीपक सुंदरियाल, संस्थापक
द करियर गुरु शिमला। नशे को लेकर सरकार सतर्क ही नहीं है। हमारी एनजीओ ने स्कूली बच्चों पर सर्वेक्षण किया था। मैं शिक्षा मंत्री के पास लेकर गई थी। स्कूलों में बच्चों की काउंसलिंग काफी जरूरी है। इस समस्या का समाधान है। मगर सरकार प्रभावी कदम उठाने वालों को प्रोत्साहित और मदद करें।
-मीनाक्षी रघुवंशी, सचिव, ब्लैक ब्लैंक्ट वेलफेयर एजुकेशन सोसायटी।