आठ संस्थानों ने डकारी 29 करोड़ की छात्रवृत्ति
ऊना के पंडोगा में केसी ग्रुप ऑफ इंस्टीटयूशन के बाद हिमाचल में आठ और निजी संस्थानों के छात्रवृत्ति घोटाले में संलिप्त होने का पता चला है। सीबीआइ जांच में इस संबंध में बड़ा खुलासा हुआ है। सूत्रों के अनुसार इन संस्थानों पर 29 करोड़ रूपये डकारने का आरोप है। पैसा डकार कर अनुसूचित जाति (एससी) अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के छात्रों के हितों के साथ अन्याय किया है।
रमेश सिंगटा, शिमला
ऊना के पंडोगा में स्थित एक निजी संस्थान के बाद हिमाचल में आठ और निजी संस्थानों के छात्रवृत्ति घोटाले में संलिप्त होने का पता चला है। सीबीआइ जांच में यह खुलासा हुआ है। सूत्रों के अनुसार इन संस्थानों पर 29 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति डकारने का आरोप है। पैसा डकार कर अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के विद्यार्थियों के हितों के साथ अन्याय किया गया।
इस फर्जीवाड़े में अब शिक्षा विभाग के आरोपित अधीक्षक अरविद राजटा की पत्नी बविता राजटा का भी हाथ होने के सुबूत मिले हैं। जांच के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी के राष्ट्रीय संस्थान (नाइलेट) के नाम से चंबा, ऊना, नाहन और कांगड़ा में फर्जी संस्थान चल रहे हैं। इनकी असली संस्थान नाइलेट से संबंद्धता नहीं है। इसके बावजूद नाम नाइलेट का ही इस्तेमाल हो रहा है। इनमें अरविद की पत्नी भी साझेदार है। दो अन्य साझेदार केके कृष्णन कुमार हरियाणा के सिरसा और राजदीप सिंह चंडीगढ़ के नया गांव, नजदीक मोहाली के हैं। इसके अलावा ऊना, चंबा, नाहन और कांगड़ा में चार जगह स्किल डेवलपमेंट स्कूल व सोसायटी (एसडीएस) भी हैं। जांच के दौरान इनमें भी गड़बड़झाला होने के प्रमाण मिले हैं।
एसडीएस की नाइलेट से संबंद्धता बताई जा रही है लेकिन चार संस्थानों का सत्यापन किया गया है। यह सत्यापन शिमला और दिल्ली से भी किया गया है। नाइलेट पंजाब की अर्द्धसरकारी एजेंसी है। यह प्रदेश में विभागों, निगमों व बोर्डो को आउटसोर्स पर स्टाफ मुहैया करवाती है। राजटा की पत्नी और उसके साझेदार पर आरोप हैं कि उन्होंने चार स्थानों में जाली तरीके से संस्थान खोले हैं। पार्टनरशिप डीड में पत्नी के जाली हस्ताक्षर
एएसए मार्केटिग सॉल्यूशन के नाम से इलाहाबाद बैंक की पंचकूला शाखा व सोलन में बैंक खाता खुलवाया गया। इसमें पता नाहन का लिखवाया गया। वर्ष 2013 के बाद इन संस्थानों के इस खाते में 29 करोड़ रुपये जमा हुए। सीबीआइ जांच के अनुसार पार्टनरशिप डीड में अरविद ने पत्नी के जाली हस्ताक्षर किए हैं। इन हस्ताक्षरों की जांच हो रही है।
संस्थानों में कंप्यूटर से सबंधित छह महीने, एक साल व दो साल के डिप्लोमा व डिग्री कोर्स करवाए जाते थे। जांच में विद्यार्थियों ने बताया कि उनके कागजात एक बार ले लिए जाते थे, उसके बाद उन्हें कुछ पता नहीं होता था। इनमें कुछ बिचौलियों की भी भूमिका संदिग्ध रही है। वे भी जांच के दायरे में हैं। कब्जे में लिया रिकॉर्ड
सीबीआइ की एसआइटी ने आठ संस्थानों से रिकॉर्ड कब्जे में लिया है। इन संस्थानों में दबिश के लिए तीन टीमें बनाई गई थीं। क्या है मामला
वर्ष 2013-14 से 2016-17 तक 924 निजी संस्थानों के विद्यार्थियों को 210.05 करोड़ रुपये और 18682 सरकारी संस्थानों के विद्यार्थियों को मात्र 56.35 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति दी गई। आरोप है कि कई संस्थानों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर छात्रवृत्ति की मोटी रकम हड़प ली। जनजातीय क्षेत्रों के विद्यार्थियों को कई साल तक छात्रवृत्ति नहीं मिली।