बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए विधानसभा का सत्र न करवाएं
बढ़ते कोरोना मामलों के चलते कोरोना पर काबू पाने के लिए सरकार बेहद सख्त कदम उठा रही है। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से फोन पर बात करके धर्मशाला में विधानसभा का शीतकालीन सत्र सत्र नहीं बुलाने की सलाह दी है।
शिमला, राज्य ब्यूरो : भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से फोन पर बात करके धर्मशाला में विधानसभा का शीतकालीन सत्र सत्र नहीं बुलाने की सलाह दी है। शांता कुमार का कहना है कि कोरोना की चुनौती से पार पाने के लिए जरूरी है कि सत्र न बुलाया जाए। सरकारी निवास ओक ओवर में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पत्रकारों से बढ़ते कोरोना संक्रमण पर काबू पाने के लिए चर्चा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि सत्र बुलाने या नहीं बुलाने के बारे में निर्णय करने से पहले पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से राय लेंगे। अब प्रदेश के लोगों की जान की रक्षा करने के लिए सरकार को बेहद सख्त कदम उठाने पड़ेंगे। इसके लिए लोगों को सहयोग करना होगा। उनका कहना है प्रदेश के अस्पतालों में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए व्यवस्था का निरीक्षण करने के लिए स्वास्थ्य मंत्री को औचक निरीक्षण करना चाहिए। सरकार के दूसरे मंत्रियों व भाजपा विधायकों को सलाह दी है कि कोरोना संक्रमित मरीजों का हाल पूछने और स्वस्थ हुए लोगों से नियमित तौर पर बात करें। अपने अपने विधानसभा क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए जनप्रतिनिधि आगे आएं। कोविड अस्पतालों में सीसीटीवी कैमरों से डॉक्टरों की मॉनिटरिंग होगी, चिकित्सक कितने मरीजों की स्वास्थ्य जांच कर रहे हैं या नहीं। राज्य के सभी जिलों में भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में रेंडम कोरोना टेस्टिंग करने के निर्देश दिए गए हैं।
तहसीलदार, कानूनगो व महिला मंडल मैदान में उतरें
अब जरूरी हो गया है कि कोरोना को हराने के लिए राजस्व विभाग के समूचे तंत्र को गांव में उतरना होगा। ताकि लोगों को अनावश्यक तौर पर घरों से बाहर निकलने से रोका जा सके। इसके लिए तहसीलदार, कानूनगो, पटवारियों को अपने-अपने क्षेत्रों में मोर्चा संभालना पड़ेगा। इसी कड़ी में महिला मंडलों की भूमिका अहम हो सकती है। महिलाओं की सक्रियता से गांव-गांव में बढ़ता कोरोना काबू में लाया जा सकता है।
संभवत: सत्र न हो
मौजूदा विधानसभा में भाजपा-कांग्रेस के अधिकांश विधायक सत्र टालने के पक्षधर हैं। इस संबंध में सरकार निर्णय ले सकती है कि कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए विधानसभा का शीतकालीन सत्र टाल सकती है। धर्मशाला की जगह शिमला में सत्र करवाने से निचले हिमाचल प्रदेश के क्षेत्रों में भेदभाव का आरोप लग सकता है। ऐसे में सरकार शीतकालीन सत्र नहीं करवाकर पांच करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि बचा सकती है।