किराया कम करने वाली कमेटी में कारोबारियों का प्रतिनिधि न होने पर विवाद
जागरण संवाददाता शिमला शहर में कारोबारियों को दुकानों का किराया कम कर राहत देने
जागरण संवाददाता, शिमला : शहर में कारोबारियों को दुकानों का किराया कम कर राहत देने के लिए निगम की ओर से बनाई कमेटी पर विवाद हो गया है। शहर के व्यापार मंडल ने साफ किया है कि उन्हें राहत देने के लिए निगम ने कमेटी तो बना दी है, लेकिन कारोबारियों का कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं किया है। इससे आशंका है कि ये महज औपचारिकता ही रहेगी। इसलिए इस कमेटी में शिमला व्यापार मंडल के पदाधिकारियों को स्थान दिया जाना चाहिए। इससे कारोबारियों की बात भी कमेटी के समक्ष रखी जा सकेगी।
वहीं मेयर सत्या कौंडल की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने मंगलवार को बैठक कर संबंधित शाखा से रिकॉर्ड तलब किया था। मंगलवार को हुई बैठक में मेयर ने अधिकारियों को रिकॉर्ड लाने के निर्देश दिए थे। इसके लिए एक सप्ताह का समय दिया है। इसके बाद तय होगा कि किराये में कितनी बढ़ोतरी हुई है। यदि बढ़ोतरी बहुत ज्यादा है तो ही इसमें कम करने का फैसला लिया है। यदि बढ़ोतरी समय के अनुसार ज्यादा नहीं होगी तो किराये को कम नहीं किया जाएगा। हालांकि अंतिम फैसला निगम की मासिक बैठक में होना है, लेकिन निगम के कारोबारियों की नजरें मेयर सत्या कौंडल की अध्यक्षता में होने वाली बैठक पर थीं।
व्यापार मंडल के दो पदाधिकारी हैं पार्षद
नगर निगम में व्यापार मंडल के दो पदाधिकारी शामिल हैं। इसमें अध्यक्ष एवं पार्षद इंद्रजीत सिंह और सचिव एवं पार्षद संजीव ठाकुर शामिल हैं। दोनों ही निगम में भी वरिष्ठ पार्षद हैं। ऐसे में दोनों में से किसी को भी स्थान नहीं दिया है। पार्षद संजीव ठाकुर का कहना है कि बिना कारोबारियों के कमेटी के समक्ष उनकी बात कौन रखेगा। प्रतिनिधि न होने से कमेटी एकतरफा फैसला भी ले सकती है। इसलिए निगम को कमेटी में कारोबारियों के प्रतिनिधि को शामिल करना चाहिए। इससे कारोबारियों को राहत मिल सकेगी। निगम ने शहर में किराये पर दे रखी हैं 987 संपत्तियां
शहर में नगर निगम ने बाजार की दुकानों से लेकर 987 संपत्तियां किराये पर दे रखी हैं। हालांकि नए सिरे से कुछ समय पहले ही किराया तय किया था। इसके बाद से लगातार कारोबारियों से लेकर अन्य सभी वर्गो की ओर से आपत्तियां दर्ज करवाई जा रही थीं।