सरकारी कर्मचारियों के लिए बसों में हों सीटें निर्धारित
संवाद सूत्र नेरवा प्रदेश में अनलॉक-एक के तहत सरकार ने लोगों की सुविधा के लिए हिमाचल पथ
संवाद सूत्र, नेरवा : प्रदेश में अनलॉक-एक के तहत सरकार ने लोगों की सुविधा के लिए हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों में शारीरिक दूरी का ध्यान रखते हुए 60 प्रतिशत सवारियां बैठाने की व्यवस्था की है। आलम यह है कि लोग इस स्थिति में 30-30 किलोमीटर पैदल सफर करने को मजबूर हैं। टैक्सियों में शारीरिक दूरी के नियम का ख्याल नहीं रखा जा रही है। सरकारी आदेशों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
यूको बैंक नेरवा शाखा की की कर्मचारी संतोषी कुमारी और हिमाचल प्रदेश विद्युत बोर्ड के कर्मचारी सुमन प्रकाश ने कहा है कि इस व्यवस्था के चलते उन्हें हर रोज तीस किलोमीटर का पैदल सफर करना पड़ रहा है। इनका आरोप है कि एक तरफ तो परिवहन निगम की बसों में साठ प्रतिशत सवारियों की शर्त के साथ मात्र बाइस सवारियां ही बैठाई जा रही है, दूसरी तरफ टैक्सियों में सवारियां भरकर सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। सुमन और संतोषी ने कहा कि दोनों ही ग्राम पंचायत रुसलाह के खोखाह गांव से नेरवा ड्यूटी पर आते हैं। वह सुबह सात बजे जब रुसलाह-नेरवा बस में ड्यूटी पर नेरवा जाने के लिए इस बस को खोखाह में रुकवाते हैं तो उन्हें बताया जाता है कि बस में सवारियां पूरी हो चुकी हैं। इसके बाद इन्हें करीब पंद्रह किलोमीटर पैदल चलकर ड्यूटी पर नेरवा पहुंचना पड़ता है। शाम को घर पहुंचने के लिए उन्हें एक बार फिर से 15 किलोमीटर का पैदल सफर करना पड़ता है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि घरों से ड्यूटी पर जाने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए बसों में सीटें निर्धारित की जाए।
सुमन प्रकाश और संतोषी ने आरोप लगाया है कि टैक्सी वाले सवारियों से बीस की जगह 50 रुपये वसूल रहे हैं और गाड़ियों में शारीरिक दूरी का कोई भी ध्यान ना रखकर सवारियां भरी जाती है।
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बसों में केवल साठ प्रतिशत सवारियां बैठाने के आदेश प्राप्त हैं। इसमें कर्मचारियों के लिए सीटें रिजर्व रखने के कोई भी आदेश नहीं है। लिहाजा बसों में निर्धारित सवारियां पूरी होने पर किसी भी सवारी को बस में नहीं बैठाया जा सकता। अन्य वाहनों में निर्धारित संख्या से अधिक सवारियां बैठाए जाना, यह देखना प्रशासन और पुलिस का काम है।
- रतन शर्मा, इंचार्ज, परिवहन निगम नेरवा डिपो।