दमा रोगियों के लिए वैक्सीन के साथ एहतियात जरूरी
कोरोना के दौर में दमा या अस्थमा रोगियों को अपना ध्यान रखना सबसे अधिक
राज्य ब्यूरो, शिमला : कोरोना के दौर में दमा या अस्थमा रोगियों को अपना ध्यान रखना सबसे अधिक जरूरी है। दमा रोगी अपनी नियमित दवाओं को बंद न करें। विशेषज्ञों की मानें तो दमा रोगी असमंजस में हैं कि वैक्सीन लगानी चाहिए या नहीं, जबकि दमा रोगियों को वैक्सीन लगाना बहुत ही जरूरी है। दमा रोग को नियंत्रित में रखने के लिए चिकित्सक से फोन पर संपर्क बनाए रखें और लंबी अवधि के लिए दवाएं लिखवाएं, जिससे अस्पतालों के कम चक्कर काटने पड़ें, जिससे कोरोना संक्रमण से दूर रह सकें।
हिमाचल प्रदेश की आबोहवा साफ है। इसके बावजूद प्रदेश में डेढ़ वर्ष तक के बच्चे भी दमा रोग से पीड़ित हैं। ऐसे बच्चों की तादाद बढ़ रही है, जिसका कारण अभिभावकों को दमा होना और उनके द्वारा उचित उपचार न करवाना है। कोरेाना काल दमा रोगियों के लिए ज्यादा खतरनाक है।
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क्या है दमा रोग
दमा अनुवांशिक व एक प्रकार की एलर्जी है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है। श्वास नलिकाओं में सूजन या विकार के कारण होता है। इस कारण फेफड़ों में भी सूजन व कफ जम जाता है। समय पर उपचार न करवाने से यह रोग बिगड़ जाता है और मौत तक हो सकती है। मां की ओर से बच्चे को दो वर्ष तक लगातार दूध पिलाने से बच्चे दमा व एलर्जी से दूर रहते हैं। मां का दूध रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है जो रोगों से दूर रखता है।
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क्या हैं लक्षण
-सांस लेने पर घरघराहट, सीने में जकड़न
-सांस लेते समय सीटी की आवाज आना
-सूखा बलगम या खांसी
-चिड़चिड़ापन व थकान महसूस करना
-सर्दी में अत्यधिक छींके, नाक बहना, खांसी व सिरदर्द
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क्या है कारण
-माता-पिता को दमा होने पर 80 से 95 फीसद बच्चों को रोग हो सकता है
-तनाव, क्रोध, डर, खून में संक्रमण
-शराब व मादक पदार्थो का सेवन
-लगातार खांसी व नजला
-पालतू जानवरों की एलर्जी
-कोकरोच, दीमक या अन्य कीड़ों से एलर्जी
-देवदार के पेड़ों से झड़ने वाले पोलन के कारण
-धूमपान करना या ऐसे वातावरण में रहना
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उपाय
-अधिक ठंडे व प्रदूषित स्थानों में न जाएं
-ठंडे व तले हुए खाद्य पदार्थ और अधिक चिकनाई वाला भोजन न करें,
-ताजी सब्जियों का सेवन करें
-मोटे-पिसे आटे की रोटियां और दलिया खाएं
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कोविड-19 महामारी का दौर दमा रोगियों के लिए ज्यादा नुकसानदायक है। इसके लिए जरूरी है कि दमा का उपचार बंद न करें और लगातार दवाएं या इनहेलर आदि जो इस्तेमाल कर रहे हैं उसे लें। बढ़ते प्रदूषण, धूमपान और फास्ट फूड के कारण युवाओं में दमा रोग बढ़ रहा है। छोटे बच्चों में भी दमा रोग काफी पाया जा रहा है।
-डा. मलाया सरकार, विभाग अध्यक्ष, चेस्ट एंड टीबी रोग आइजीएमसी शिमला।