ढाबों और चाय की दुकानों में बाल श्रम रोकें अधिकारी
राज्य के भीतर ढ़ाबों पर अभी तक कोई भी बच्चा काम करता नहीं पाया गया है। न ही किसी उद्योग पर बाल श्रमिक नजर में आए। प्रदेश में ईंट भटठों पर परिजनों के साथ बच्चे काम करते मिलते हैं। सचिवालय में मुख्य सचिव डा. श्रीकांत बाल्दी की अध्यक्षता में आयोजित बाल श्रम निरोधक कानून-19
राज्य ब्यूरो, शिमला : राज्य के भीतर ढाबों में अभी तक कोई भी बच्चा काम करता हुआ नहीं पाया गया है। न ही किसी उद्योग में बाल श्रमिक नजर आए हैं। ईट-भट्ठों पर परिजनों के साथ बच्चे काम करते मिलते हैं।
सचिवालय में सोमवार को मुख्य सचिव डॉ. श्रीकांत बाल्दी की अध्यक्षता में बाल श्रम निरोधक कानून 1986 को लेकर बैठक हुई। इस दौरान वर्ष 2018 में सामने आए 13 मामलों की समीक्षा की गई। किन्नौर व लाहुल-स्पीति जिलों को छोड़कर सभी में बाल श्रम के मामले सामने आए थे। ऊना में सर्वाधिक छह मामले सामने आए थे। दो मामलों में बच्चों से काम करवाने वाले दो लोगों को छह-छह माह की सजा सुनाई गई थी। इस दौरान डॉ. बाल्दी ने कहा कि यदि कहीं ढाबों, चाय की दुकानों व ईंट-भट्ठों पर बाल श्रम के मामले सामने आते हैं तो अधिकारी सख्त कार्रवाई करें। इसके बाद बच्चों के पुनर्वास के साथ-साथ शिक्षा का प्रावधान करवाया जाए। बाल श्रम पर नजर रखने के लिए हर जिले में डीसी की अध्यक्षता में टास्क फोर्स गठित है। इसके अलावा 11 सरकारी विभागों को श्रम अधिकारी की शक्तियां प्रदान की गई हैं।
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श्रम एवं रोजगार विभाग की ओर से प्रयास रहता है कि ढाबों और उद्योगों में बाल श्रम करने वाले न हों। यदि ढाबा मालिक बच्चों से काम करवाते हुए पकड़े जाते हैं तो जेल में जाने के लिए तैयार रहें। बाल श्रम रोकने के लिए महकमे की ओर से सभी विभागों और उपायुक्तों को दिशानिर्देश जारी किए हैं।
-डॉ. एसएस गुलेरिया, आयुक्त श्रम एवं रोजगार विभाग।