हिमाचल में शिक्षा विभाग के फैसले से शिक्षकों में मचा हड़कंप
हिमाचल शिक्षा विभाग द़वारा एक काडर एक यूनियन की नीति लागू होने से शिक्ष्कों में हड़कंप मचा हुआ है जिसका सबसे अधिक असर राजकीय अध्यापक संघ पर पड़ेगा।
शिमला, जेएनएन। शिक्षा विभाग का एक काडर एक यूनियन का सिद्धांत लागू करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। शिक्षा निदेशालय ने सभी यूनियन के पदाधिकारियों को पत्र जारी कर तीन माह के भीतर रिपोर्ट मांगी है। इसमें पूछा है कि उनकी यूनियन कौन सी है और कब यह पंजीकृत हुई है।
इसकी सूचना आने के बाद विभाग उन्हीं यूनियनों को मान्यता देगा जो पंजीकृत होंगी। यूनियनों के कार्यक्रमों और अन्य गतिविधियों के लिए अनुमति केवल पंजीकृत यूनियनों को ही दी जाएगी। विभाग के इस फैसले से शिक्षकों में हड़कंप मच गया है। इसका सबसे ज्यादा असर राजकीय अध्यापक संघ पर पड़ेगा। संघ की प्रदेश में दो समानांतर यूनियन बनी हुई हैं। राजकीय अध्यापक संघ में जेबीटी से प्रधानाचार्य काडर तक की सभी यूनियन शामिल हैं। यह विभाग के एक काडर एक यूनियन के सिद्धांत के विपरीत है। ऐसे में इस यूनियन का अस्तित्व भी खत्म हो सकता है।
38 में से 12 यूनियन ही बचेंगी
शिक्षा विभाग के इस फैसले से कई यूनियन का वजूद खत्म हो जाएगा। विभाग में अभी 38 यूनियन कार्यरत हैं। इनमें से करीब 26 का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। विभाग इन सभी यूनियनों का पंजीकरण भी देखेगा, जिसके बाद ही मान्यता दी जाएगी। शिक्षक राजनीति से छात्रों की पढ़ाई बाधित न हो, इसके लिए विभाग ने एक काडर में केवल एक ही यूनियन बनाने का निर्णय लिया है।
सीएंडवी यूनियन के अध्यक्ष चमन लाल शर्मा ने कहा कि शिक्षा विभाग का एक काडर एक यूनियन का फैसला सराहनीय है। ज्यादा यूनियन होने से विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित होती है। शिक्षक भी असमंजस में रहते हैं कि वह कौन सी यूनियन के साथ रहें। काडर के आधार पर यूनियन के सिद्धांत से न पढ़ाई प्रभावित होगी न ही फर्जी यूनियन बनेंगी।
राजकीय अध्यापक संघ के अध्यक्ष नरेश महाजन ने बताया कि राजकीय अध्यापक संघ में शिक्षकों के सभी वर्ग शामिल हैं। विभाग ने एक काडर एक यूनियन का सिद्धांत लागू करने को कहा है। सभी पदाधिकारियों की राय जानने के बाद संघ इसका प्रस्ताव तैयार कर शिक्षा निदेशालय को सौंप देगा।
स्कूल प्रवक्ता संघ के अध्यक्ष केसर ठाकुर का कहना है कि शिक्षा विभाग केवल पंजीकृत एसोसिएशन को ही मान्यता दे। बहुत यूनियन ऐसी हैं जो राजनीति चमकाने के लिए बनी हैं। उनके पास कोई मान्यता नहीं है। एसोसिएशन के चुनाव पूरी प्रक्रिया से हों और विभाग भी उस प्रक्रिया को देखे। बिना मान्यता के कोई यूनियन नहीं होनी चाहिए।