50 किलोमीटर सड़कों किनारे लगेंगे क्रैश बैरियर
प्रदेश में किसी बड़े हादसे के बाद सड़कों किनारे स्टील क्रैश बैरियर लगाने की बात होती है। इसके बावजूद सरकार इस दिशा में गंभीर नहीं है।
राज्य ब्यूरो, शिमला : प्रदेश में किसी बड़े हादसे के बाद सड़कों किनारे स्टील क्रैश बैरियर लगाने की जरूरत महसूस की जाती है। सरकार की ओर से अधिकारी कुछ दिन तक हरकत में रहते हैं और फिर पुराना ढर्रा लौट आता है।
लोक निर्माण विभाग ने प्रदेश की खतरनाक सड़कों की पहचान कर इससे संबंधित रिकॉर्ड सरकार को सौंपा है। इसके बावजूद प्रदेश के आम आदमी की सुरक्षा की गारंटी देने के लिए सरकार के पास पर्याप्त बजट नहीं है। इसका नतीजा है कि प्रदेश में हर साल बड़े सड़क हादसे होते हैं जिनमें कई लोगों को जान गंवानी पड़ती है। लोक निर्माण विभाग ने नए वित्त वर्ष के लिए 50 किलोमीटर सड़कों को सुरक्षित करने के लिए योजना तैयार की है। इसके तहत अति संवेदनशील क्षेत्रों की सड़कों को स्टील क्रैश बैरियर लगाकर सुरक्षित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त वाहनों को सड़क पर ही रोकने के लिए मजबूत पैरापिट स्थापित होंगे। प्रदेश के हर जिला में विभाग ने खतरनाक सड़कें चिह्नित की हैं। वाहनों को पहाड़ी से लुढ़कने से बचाने के लिए सभी सड़कों के किनारे स्टील क्रैश बैरियर लगाना आवश्यक है। इस तरह से 90 प्रतिशत वाहनों का बचाव हो सकता है। स्टील क्रैश बैरियर केंद्रीय भू-तल एवं परिवहन मंत्रालय की ओर से आवश्यक किए गए हैं। प्रदेश में सरकार भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद सड़क सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है। दो वर्षो से स्टील क्रैश बैरियर स्थापित करने के लिए 50 करोड़ का बजट रखा जा रहा है। पैरापिट का भी होता है निर्माण
हमारा प्रयास है कि सड़क दुर्घटना न हो। इसके लिए हर साल सड़कों को सुरक्षित आवागमन के लिए स्टील क्रैश बैरियर लगाने के अतिरिक्त पैरापिट का निर्माण करवाया जाता है। इस वित्त वर्ष के लिए भी 50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
आरपी वर्मा, इंजीनियर इन चीफ, लोक निर्माण विभाग