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कांग्रेस में बागियों की वापसी पर घमासान

लोकसभा चुनाव से पूर्व ही चुनावी बिसात बिछनी शुरु हो गई है। कांग्रेस में बागियों की वापसी को लेकर अब दबाव की नीति को अपनाकर अपने-अपने समर्थकों को अंदर करने की गौटियां फिट की जा रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Feb 2019 07:08 PM (IST)Updated: Thu, 21 Feb 2019 07:08 PM (IST)
कांग्रेस में बागियों की वापसी पर घमासान
कांग्रेस में बागियों की वापसी पर घमासान

राज्य ब्यूरो, शिमला : कांग्रेस पार्टी में लोकसभा चुनाव से पूर्व ही चुनावी बिसात बिछनी शुरू हो गई है। पार्टी में बागियों की वापसी के लिए दबाव की रणनीति अपना समर्थकों को अंदर करने की गोटियां फिट की जा रही हैं। चुनाव की घोषणा को कुछ ही समय बचा है। ऐसे में उम्मीदवारों के चयन से पूर्व ही बागियों की वापसी पर घमासान मच गया है। इसी का परिणाम है कि जिन 74 बागियों में से 47 की वापसी पर उच्च अधिकार समीति ने मुहर लगाई वह भेदभाव और गुटबाजी के आरोपों के बीच टल गई है। अब जिलास्तर पर विधायक व पूर्व विधायकों की अगुवाई में शिकायत प्रस्ताव तैयार किए जा रहे हैं जिन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रदेश कांग्रेस प्रभारी रजनी पाटिल को भेज दबाव बनाया जा रहा है। कांगड़ा और हमीरपुर में तो बागियों की वापसी में भेदभाव व गुटबाजी को लेकर बैठक होने के बाद प्रस्ताव तैयार कर लिया है, जिसे राहुल गांधी को भेजा जा रहा है। जल्द ही बाकी जिलों में भी बैठकें रखी गई हैं।

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प्रदेश कांग्रेस से निष्कासित बागियों की वापसी के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने गठित उच्च अधिकार समीति में विद्या स्टोक्स और जीएस बाली को रखा है। इस संबंध में गत दिनों प्रदेश कांग्रेस सहप्रभारी गुरकिरत ¨सह कोटली की अध्यक्षता में बैठक हुई। कमेटी में मात्र 74 नामों पर चर्चा हुई, जिसमें से चार को बाहर का रास्ता दिखाकर 23 को पेंडिंग में डाला गया। सवाल यह उठाए गए कि आखिर जब निकाले 180 गए तो केवल 74 नामों पर ही चर्चा क्यों हुई। शर्तो पर ही शिकायत

चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को जब वापस लिया जा रहा है तो दोहरे मापदंड क्यों अपनाए जा रहे हैं। कौन किसका समर्थक है, इस आधार पर निर्णय लिया जा रहा है। जनाधार वाले नेताओं के लिए शर्ते रखी जा रही हैं और उन्हें बाहर रखने के लिए नए तरीके निकाले जा रहे हैं। कार्यकर्ताओं व नेताओं ने अपनी शिकायत में सवाल उठाए हैं कि जनाधार वाले नेताओं, जिन्होंने दो से 10 हजार वोट लिए हैं, उन्हें बाहर रखा है। वहीं मात्र 500 से 700 वोट हासिल करने वालों का वनवास समाप्त कर वापसी की अनुमति दी गई है।

मार्च के पहले सप्ताह हो सकती है उम्मीदवारों की घोषणा

कांग्रेस में अभी उम्मीदवारों के नाम तय नहीं हुए हैं। हालांकि 41 आवेदन प्राप्त हुए और कांग्रेस कमेटी ने सभी नामों कांग्रेस चुनाव समीति को भेजने की बात कही है। सूत्रों की माने तो पार्टी मार्च के पहले सप्ताह में लोकसभा चुनाव के लिए हिमाचल से अपने उम्मीदवारों का एलान कर सकती है। अभी कांग्रेस ने पत्ते नहीं खोले हैं कि आखिर प्रदेश में किस पर दाव लगाने जा रही है।

चारों सीटों पर कांग्रेस को शिकस्त

पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को शिकस्त का सामना करना पड़ा था। चारों सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों ने परचम लहराया था। कांगड़ा से शांता कुमार ने चंद्र कुमार को, हमीरपुर से अनुराग ठाकुर ने राजेंद्र राणा, शिमला से वीरेंद्र कश्यप ने धनीराम शांडिल और मंडी से राम स्वरूप शर्मा ने वीरभद्र सिंह की पत्नी पूर्व सांसद प्रतिभा ¨सह को हराया था।


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