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आरोपित डीएम को पुलिस की क्लीनचिट

हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) के एक मंडलीय प्रबंधक (डीएम) स्तर

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 May 2021 07:12 PM (IST)Updated: Thu, 13 May 2021 07:12 PM (IST)
आरोपित डीएम को पुलिस की क्लीनचिट
आरोपित डीएम को पुलिस की क्लीनचिट

रमेश सिगटा, शिमला

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हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) के एक मंडलीय प्रबंधक (डीएम) स्तर के अधिकारी से जुड़े 61 लाख रुपये के मामले में नया मोड़ आ गया है। पुलिस ने आरोपित डीएम को क्लीनचिट दे दी है। वहीं शिकायतकर्ता एफआइआर रद के खिलाफ कोर्ट में जाएंगे। इस संबंध में ऊना की एक अदालत में 30 मई को पेशी होगी। आरोप है कि इस अधिकारी ने 61 लाख रुपये किराये की रिकवरी वसूलने के बजाय जिदा लाइसेंसी (किरायेदार) को मृत घोषित कर दिया था। असल में एचआरटीसी ने ऊना बस अड्डे में दुकानों के लाइसेंस जारी किए थे। अरसे से नौ किरायेदारों से 80 लाख से अधिक की वसूली नहीं हो पा रही थी। मई 2017 में इस संबंध में कमेटी गठित की, जिसका मुखिया डीएम रैंक के अधिकारी को बनाया गया। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि दुकान नंबर 17, 18 और एक कैंटीन के लाइसेंसधारक अशोक कुमार से किराये के तौर पर 61 रुपये की वसूली होनी थी। जीवन लाल से पार्किंग फीस के तौर पर छह लाख 87 रुपये वसूल किए जाने थे। रिपोर्ट में दर्शाया गया कि इन दोनों की कुछ समय पूर्व मौत हो गई है। इसलिए इनके बकाये को राइट ऑफ यानी खत्म किया जाए। -------

विभागीय जांच में पाए गए दोषी

सरकार ने मामले में जांच के आदेश दिए। भारतीय परिवहन मजदूर संघ की शिकायत के आधार पर विभागीय जांच की गई जिसमें उक्त डीएम दोषी पाए गए। जांच में पाया गया कि लाइसेंसी मृत नहीं बल्कि जिंदा है। इसके आधार पर आरोपित अधिकारी को पहले चार्जशीट किया गया और फिर निलंबित किया गया। उक्त अधिकारी ऊना डिपो में हुए टायर घोटाले में भी आरोपित रह चुके हैं। संघ के प्रदेशाध्यक्ष शंकर सिंह ठाकुर ने मई 2019 में ऊना सदर थाने में एफआइआर दर्ज करवाई थी।

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मेरे खिलाफ शंकर सिंह ठाकुर ने जाली एफआइआर दर्ज करवाई। जिला न्यायवादी ने इसे रद करने को कहा। यह खुद डेढ़ साल से निलंबित है। उसके खिलाफ अनेक केस चल रहे हैं। वह संघ का अध्यक्ष नहीं है। संगठन के लैटरपेड का गलत इस्तेमाल कर रहा है। मैंने जानबूझ कर किसी को मृत घोषित नहीं किया। मुझे जैसा उसके स्वजन ने बताया, वैसा किया।

दलजीत सिंह, मंडलीय प्रबंधक शिमला ------------

मामला कोर्ट के विचाराधीन है। शिकायतकर्ता को पूरा हक है कि वह पुलिस जांच को चुनौती दें। इस मामले में कोर्ट से जो भी आदेश या निर्देश आएंगे, हम उनका हर हाल में पालन करेंगे।

अर्जित सेन, एसपी, ऊना ------------

बड़े मामले को पुलिस ने आला अधिकारी के दबाव में आकर रद किया है। मैं इसे कोर्ट में चुनौती दूंगा। सुबूत आरोपित डीएम के खिलाफ हैं। उन्होंने गिरफ्तारी से बचने के लिए कोर्ट से जमानत ली थी। अब न्यायालय के सामने पूरा सच लाया जाएगा।

शंकर सिंह ठाकुर, अध्यक्ष, भारतीय परिवहन मजदूर संघ

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दैनिक जागरण ने उठाया था मामला

जिदा लाइसेंसी को मृत घोषित करने का मामला दैनिक जागरण ने प्रमुखता से उठाया था। इसके बाद सरकार ने मामला दर्ज करने के आदेश दिए थे। लेकिन इन आदेश को भी एचआरटीसी प्रबंधन ने नहीं माना था। इसके बाद परिवहन मजदूर संघ ने खुद एफआइआर दर्ज करवाई थी।


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