सिविल अस्पताल नेरवा अव्यवस्था से होने लगा बीमार
कोविड-19 संकट के बीच सिविल अस्पताल नेरवा स्टाफ व अन्य मूलभूत सुविधाओं की
क्षितिज सूद, नेरवा
कोविड-19 संकट के बीच सिविल अस्पताल नेरवा स्टाफ व अन्य मूलभूत सुविधाओं की कमी महसूस कर रहा है। अस्पताल में चिकित्सकों के छह पद स्वीकृत हैं। वर्तमान में केवल तीन चिकित्सक ही जनता की नब्ज देख रहे हैं। छह माह से बिनी किसी छुट्टी के दिन-रात ड्यूटी दे रहे हैं। विभिन्न क्वारंटाइन केंद्रों में जाकर लोगों के सैंपल भी इकट्ठा कर रहे हैं। रोजाना 200 से अधिक ओपीडी का जिम्मा इन्हीं मात्र तीन चिकित्सकों के हवाले है।
अस्पताल में दो दाई हैं। इनमें एक अधिक उम्र के चलते कार्य करने में असमर्थ है। अस्पताल में हर रोज औसतन तीन से चार प्रसव होते हैं। ऐसे में एक दाई व चिकित्सकों व नर्सों के कंधों पर और बोझ पड़ गया है।
अस्पताल में स्टाफ नर्सों के 12 पद स्वीकृत हैं लेकिन दो ही सेवाएं दे रही हैं। दोनों 12-12 घंटे ड्यूटी देने को मजबूर हैं। अस्पताल में तैनात स्टाफ नर्स के नियमित होने पर उसका तबादला हो चुका है। फार्मासिस्ट का पद भी रिक्त है। अस्पताल की बदहाली का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां पर चिकित्सक के लिए एक अदद ड्यूटी रूम तक नहीं है। अस्पताल में आवासीय सुविधा न होने से चिकित्सकों को निजी आवास से अस्पताल पहुंचना पड़ता है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि नेरवा अस्पताल की अनदेखी की जाती रही है। जिला परिषद सदस्य नेरवा वीना पोटन, पंचायत केदी के प्रधान तपेंद्र नेगी, पंचायत बिजमल की प्रधान बबिता राणा,पूर्व प्रधान दिनेश चौहान, मानु भाविया के बीडीसी सदस्य मनोहर शर्मा, व्यापार मंडल नेरवा के प्रधान राजीव, उपप्रधान दिनेश अमरेट व स्थानीय लोगों ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मांग की है कि नेरवा में चिकित्सकों व अन्य पैरा मेडिकल स्टाफ के पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरा जाए।
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सिविल अस्पताल नेरवा में स्टाफ की कमी तो है। सरकार से खाली पदों को जल्द भरने का आग्रह किया है। इन पदों पर नियुक्तियां करने का आश्वासन मिला है।
-डॉ. ललित, कार्यकारी ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर नेरवा।