अब चिलगोजे के व्यापार ने पकड़ी रफ्तार
समर नेगी रिकांगपिओ दुनिया में ठंडे सूखे व पर्वतीय क्षेत्रों में मिलने वाला दुर्लभ प्रजाति का चि
समर नेगी, रिकांगपिओ
दुनिया में ठंडे, सूखे व पर्वतीय क्षेत्रों में मिलने वाला दुर्लभ प्रजाति का चिलगोजा नामक पेड़ केवल किन्नौर में ही पाया जाता है। इन दिनों सेब सीजन समाप्त होने के बाद न्योजा (चिलगोजा) के व्यापार ने जिले में रफ्तार पकड़ ली है। अक्टूबर में होने वाली यह फसल रिकांगपिओ बाजार में व्यापारियों द्वारा अलग-अलग भाव पर खरीदा व बेचा जा रहा है। इन दिनों चिलगोजा 1000 रुपये से 1200 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है जबकि पिछले वर्ष 1400 रुपये तक इसके दाम मिले थे। इस बार चिलगोजा का अधिक मात्रा में उत्पादन होने के कारण स्थानीय लोगों को उचित दाम नहीं मिल पा रहे हैं। इसी तरह 2015 में भी बंपर पैदावार होने से न्योजे का भाव गिर कर मात्र 250 रुपये तक आ गया था।
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सेब की तरह चिलगोजा को भी बाहरी मंडियों में भेजने की हो सुविधा
जिले के स्थानीय निवासियों का कहना है कि चिलगोजे का दाम वैसे ही कम मिल रहा है तथा चिलगोजा को भी सेब की भांति विभिन्न मंडियों में ले जाने के लिए किसी भी तरह की परमिट की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। चिलगोजे का व्यापार करने के लिए जिले के अलावा दूसरे जिले व प्रदेशों से व्यापारी पहुंच जाते है।
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अन्य देशों में भी होता है चिलगोजा
चिलगोजे का पेड़ किन्नौर, चंबा, पांगी व भरमौर में ही पाया जाता है। इसके अलावा यह अफगानिस्तान, बलूचिस्तान व दक्षिण पश्चिम अमेरिका में ही पाया जाता है। खास बात यह है कि एशियन चिलगोजे के स्वाद में बेहतर और आकार में अन्य देशों के मुकाबले बड़े होते है।
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व्यापारियों से बातचीत
30 वर्ष से न्योजे का व्यापार कर रहे कोठी निवासी अच्छर सिंह नेगी ने कहा कि इस वर्ष जिले में न्योजे की पैदावार ज्यादा है। श्याम लाल नेगी ने कहा कि न्योजे के व्यापार में व्यापारी को पांच से 10 प्रतिशत का ही मुनाफा होता है। पहले न कोई टैक्स लगता था और न ही रॉयल्टी, एक्सपोर्ट परमिट आदि लगते है परंतु अब 10 प्रतिशत टैक्स के अलावा परमिट का होना अनिवार्य किया गया है। जबकि सेब आदि अन्य नकदी फसल पर मात्र दो व तीन प्रतिशत ही टैक्स लगता है। धर्म पाल रामपुर निवासी व्यापारी ने कहा कि फसल का भाव दिल्ली मंडी के हिसाब से बढ़ता या कम होता है। चंद्रमनी, केसर चंद, अच्छर सिंह, श्याम लाल धर्म पाल आदि व्यापारियों ने प्रशासन व सरकार से मांग की है कि न्योजा के फसल से भी सेब के बराबर ही टैक्स लिया जाए। चार ईयर स्केल से हटाकर वन ईयर किया जाए, ताकि व्यापारी आसानी से मंडी पहुंच सके।