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चिड़गांव अग्निकांड: राख के ढेर में बुजुर्ग मां को तलाशता रहा बेबस परिवार, निशानी के नाम पर मिले अवशेष

Chidganv Fierce Fire रोहडू के डुग्यानी गांव में बेटा अपनी मां को मुखाग्नि न दे पाने से दुखी दिखा।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Mon, 27 Apr 2020 09:00 PM (IST)Updated: Mon, 27 Apr 2020 09:00 PM (IST)
चिड़गांव अग्निकांड: राख के ढेर में बुजुर्ग मां को तलाशता रहा बेबस परिवार, निशानी के नाम पर मिले अवशेष
चिड़गांव अग्निकांड: राख के ढेर में बुजुर्ग मां को तलाशता रहा बेबस परिवार, निशानी के नाम पर मिले अवशेष

रोहडू, जितेंद्र मेहता। रोहडू के डुग्यानी गांव में बेटा अपनी मां को मुखाग्नि न दे पाने से दुखी दिखा। मां को तलाशने के लिए हर लकड़ी आैर पत्थर को हटा रहा था। इस दौरान उसके बिलखने की आवाज आैर आंखों के आंसू किसी को भी बेबस कर सकते थे। कभी चीखता तो कभी किसी से मां के बारे में पूछता। चिड़गांव के डुग्यानी में हुए इस अग्निकांड ने सात परिवारों से छत छीन ली, वहीं एक बेटे से उसकी मां को मुखाग्नि देने का हक भी छीन लिया।

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घर में लगी आग में जिंदा जली मां सोदामणी को खोजते हुए सरदार सिंह के परिवार के हाथ केवल दांत व कुछ अस्थियां ही लगी। परिवार को अब इन अवशेषों से ही अंतिम संस्कार की औपचारिकता निभानी होगी। रिश्तेदारों के सहयोग से सरदार सिंह आग के ताप थमने के बाद पानी के सहारे बुजुर्ग को तलाशने में 24 घंंटे से लगातार कोशिश कर रहे थे। आग के ढेर मे मिले अवशेषों से अब परिवार को संतोष करने के अलावा दूसरा कोई रास्ता भी तो नहीं है। लोगों की आस अब मलबा खोजते खत्म होती जा रही है।

आग के ताप ने ट्रंक से लेकर लोहे के एंगल भी पिघला दिए। आग का ताप इतना था कि लोहे का सामान भी पिघला दिया है। फिर भी परिवार लगातार मां की तलाश में है। घर में रखे लोहे के बर्तन, ट्रंक से लेकर खिड़कियों के सरिये तक पिघल गए थे। इसके बावजूद परिवार आैर अन्य लोग बुजुर्ग को तलाशते रहे। परिजनों को अभी तक इस भयावह मौत पर विश्वास नहीं

हो पा रहा है।

डीएनए मिलान के लिए डाक्टरों ने लिए सैंपल

इन अवशेषों का अब परिवार के साथ डीएनए मिलान की भी औपचारिकता होगी। इसके लिए सोमवार को डाॅक्टरों ने सैंपल भी ले लिए हैं। परिवार ने बुजुर्ग मां की मौत के बाद रीति रिवाजों के तहत कर्म करना शुरू कर दिया है। रौंगटे खडे करने वाली इस घटना से जहां पूरे क्षेत्र के लोग व्याकुल हैं। वहीं करीबी रिशतेदार राख के ढेर के आगे ही आंसू बहाने आैर एक दूसरे के आंसू पोंछने को मजबूर हैं।


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