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भाजपा की जीत के चाणक्य मंगल पांडेय

शांता, धूमल व नड्डा गुट में बंटी भाजपा को इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए प्रदेश प्रभारी मंगल पांडेय ने जी तोड़ मेहनत की और इसी मेहनत के बल पर पहाड़ में कमल खिला है।

By Babita KashyapEdited By: Published: Thu, 21 Dec 2017 09:51 AM (IST)Updated: Thu, 21 Dec 2017 04:15 PM (IST)
भाजपा की जीत के चाणक्य मंगल पांडेय
भाजपा की जीत के चाणक्य मंगल पांडेय

शिमला, राज्य ब्यूरो। विधानसभा चुनाव में 44 सीटें जीतकर जश्न मना रही भाजपा की जीत के पीछे एक नाम है मंगल पांडेय। सही मायनों में भाजपा की जीत के चाणक्य साबित हुए पांडेय ने सभी लोगों को एक सूत्र में पिरोने का काम किया है।

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शांता, धूमल व नड्डा गुट में बंटी भाजपा को इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए प्रदेश प्रभारी मंगल पांडेय ने जी तोड़ मेहनत की और इसी मेहनत के बल पर पहाड़ में कमल खिला है। प्रदेश प्रभारी बनने के बाद पांडेय के सामने संगठन को दुरुस्त करने के साथ-साथ नेताओं को साधने की भी चुनौती थी। प्रभारी बनने के बाद सबसे पहले सभी जिलों का दौरा करके कार्यकर्ताओं से बैठकें की। संगठन को सक्रिय करने के लिए त्रिदेव सम्मेलन किए। पन्ना प्रमुख कार्यक्रम चलाया। एक बूथ दस यूथ कार्यक्रम को निचले स्तर तक क्रियान्वित किया।

चुनाव के लिए प्रचार प्रबंधन ऐसा किया कि भाजपा को हर मोर्चे पर बढ़त दिलाई। प्रचार को धारदार करने के लिए हिसाब मांगे हिमाचल को जोरदार तरीके से उठाया। सबसे ज्यादा मुश्किल था तीन धड़ों में बंटी भाजपा को एक सूत्र में पिरोना जरूरी था। प्रदेश में भाजपा शांता, धूमल व नडडा धड़ों में बंटी हुई थी। तीनों को एक साथ किया और चुनाव में साथ चलाया। रोजाना फीडबैक से कदम दर कदम आगे बढ़ते हुए पांडेय ने प्रदेश में भाजपा की बुनियाद को मजबूत आधार दिया। यह चुनावी रणनीति का हिस्सा था कि वीरभद्र सिंह व उनके पुत्र को कड़े मुकाबले तक पहुंचाया। 

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