Move to Jagran APP

कांग्रेस का षड्यंत्र थे एचपीसीए पर मामले

कोर्ट में भूमि आवंटन, शिक्षा विभाग की जमीन देने व द पेवेलियन होटल को एनओसी देने से जुड़े मामले समाप्त।

By Edited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 10:48 PM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 08:38 AM (IST)
कांग्रेस का षड्यंत्र थे एचपीसीए पर मामले
कांग्रेस का षड्यंत्र थे एचपीसीए पर मामले

शिमला, राज्य ब्यूरो। हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एचपीसीए) ने कहा है कि पूर्व कांग्रेस सरकार ने बदले की भावना से उस पर मामले बनाए थे। ये मामले कांग्रेस का षड्यंत्र थे। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की प्रति आने के बाद भूमि आवंटन, शिक्षा विभाग की जमीन देने का मामला व द पेवेलियन होटल को एनओसी देने से जुड़े मामले समाप्त हो गए हैं।

loksabha election banner

एचपीसीए ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्रति जारी की है। भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर आरोपमुक्त होने के साथ पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल सहित 18 अन्य लोग भी इस मामले से दोषमुक्त हुए हैं। फैसले में कहा गया है कि ऐसा कोई आरोप नहीं है कि मामले की सुनवाई की जाए। एचपीसीए मामले में प्रभावित होने वाले पूर्व आइएएस अधिकारी डॉ. दीपक सानन व आरएस गुप्ता ने पूर्व कांग्रेस सरकार के साथ पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर भी निशाना साधा है। सानन व गुप्ता ने कहा कि पूर्व कांग्रेस सरकार व वीरभद्र सिंह के कारण उनका करियर प्रभावित हुआ।

वहीं, आइएएस अधिकारी डॉ. अजय शर्मा ने इस मामले में कुछ कहने से इन्कार कर दिया। अफसरशाही की कार्यप्रणाली पर सवाल एचपीसीए मामला सर्वोच्च न्यायालय में ले जाने के लिए हिमाचल सरकार की आला अफसरशाही की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। इस मामले में वकीलों को फीस के तौर पर करोड़ों रुपये का भुगतान प्रदेश के खजाने से हुआ। एचपीसीए को भूमि आवंटन मामले से जुड़े छह अधिकारियों में से सिर्फ दो के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई थी। इसी मामले में अन्य आइएएस अधिकारियों को कांग्रेस सरकार ने अहम पदों पर नियुक्ति प्रदान की थी। छह अधिकारियों में से चार आईएएस थे।

सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में कहा है कि भूमि आवंटन के मामले को खेल एवं युवा सेवा विभाग के निदेशक एवं विशेष सचिव देख रहे थे। इस विभाग की स्वीकृति के बाद ही विवादित भूमि का आवंटन एचपीसीए को किया गया। न्यायालय ने इस मामले में आइएएस अधिकारी आरएस गुप्ता व दीपक सानन और दो अन्य अधिकारियों को एफआइआर में नामजद करने व प्रक्रिया से जुड़े बाकी अधिकारियों को नजरअंदाज करने पर भी सवाल खड़े किए है। न्यायालय ने कहा है कि इस प्रक्रिया से जुड़े दो अधिकारियों सुभाष आहलूवालिया व टीजी नेगी को पूर्व सरकार के कार्यकाल में अहम पदों पर तैनाती दी गई।

मामले को देखते हुए प्रतीत होता है कि अधिकारियों ने कोई आपराधिक कृत्य नहीं किया है। भूमि को लीज पर देने के बावजूद सरकार ही इसकी मालिक रहेगी। जहां तक एचपीसीए को कंपनी बनाने का सवाल है, इस मामले में बीसीसीआइ के आदेशों के मुताबिक ही कार्य किया गया है। इसमें कोई आपराधिक कृत्य नहीं है। इससे पूर्व सरकार और अफसरशाही की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे है। सर्वोच्च न्यायालय से एचपीसीए मामला निरस्त हो गया है लेकिन प्रदेश उच्च न्यायालय में होटल बनाने के लिए पेड़ काटने का मामला लंबित है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने आईना दिखाया कांग्रेस सरकार ने मुझे ही नहीं, सरकार के कई दूसरे अधिकारियों को निशाना बनाकर उत्पीड़ित किया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने आईना दिखा दिया है। मैं अभी बेंगलुरु में हूं और वापस लौट कर कानूनी सलाह लूंगा। उसके बाद तय करूंगा कि क्या कार्रवाई करनी है। राजस्व विभाग का प्रधान सचिव रहते हुए मैंने जो भी निर्णय लिया था, वह नियमों के विपरीत नहीं था।

-डॉ. दीपक शानन, पूर्व एसीएस।

अधिकारियों को बनाया गया निशाना

कांग्रेस सरकार ने बेवजह मुझे फंसाने का प्रयास किया था। मैं उपायुक्त था और वहीं किया जो नियमानुसार था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जाहिर हो गया है कि पूर्व कांग्रेस सरकार ने कुछ अधिकारियों को निशाना बनाया था।

-आरएस गुप्ता, पूर्व आइएएस अधिकारी।

कांग्रेस सरकार इसलिए गई थी सुप्रीम कोर्ट

-भाजपा सरकार ने 49,189 वर्गमीटर सरकारी जमीन क्रिकेट स्टेडियम बनाने के लिए दी।

-शिक्षा विभाग की 720 मीटर जमीन गलत तरीके से दी गई।

-द पेवेलियन होटल की एनओसी कमर्शियल कैसे दी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.