शराब के बड़े तस्कर पुलिस की पहुंच से दूर
मंडी जिला के सलापड़ व आसपास जहरीली शराब से सात मौतें होने के बाद जिला शिमला के लोग भी दहशत में हैं। जिले में शराब के छोटे मामले तो सामने आते हैं लेकिन बड़े तस्कर पकड़ से अभी तक दूर हैं।
जागरण संवाददाता, शिमला : मंडी जिला के सलापड़ व आसपास जहरीली शराब से सात मौतें होने के बाद जिला शिमला के लोग भी दहशत में हैं। सर्दियां शुरू होते ही जिला भर में अवैध तरीके से शराब बेचने के मामले बढ़ जाते हैं। रोजाना तीन से चार मामले तस्करी के दर्ज किए जाते हैं। इसमें अधिकतर मामले चार से छह बोतल तक के होते हैं। हालांकि बड़े तस्कर पुलिस की पहुंच से दूर हैं।
आज तक इक्का-दुक्का मामलों में ही पुलिस 50 या 100 से ज्यादा शराब की पेटियां पकड़ पाई है। कई बार पुलिस को चार से पांच सौ शराब की पेटियों का जखीरा भी पकड़ने में सफलता मिलती है लेकिन इसके बावजूद परचून में शराब बेचने वाले ही पुलिस की गिरफ्त में आते हैं। अब सवाल यह है कि इन लोगों को शराब की सप्लाई आ कहां से रही है। इसकी जड़ तक पहुंचने के लिए आज तक गंभीरता से काम होता नहीं दिखाई दिखा। यदि कभी होता है तो वह अंजाम तक नहीं पहुंच पाया। इसका खामियाजा यह है कि अवैध तरीके से शराब बेचने का धंधा खत्म होने के बजाय पनपता ही जा रहा है। इससे प्रदेश के राजस्व को तो नुकसान हो ही रहा है, साथ में लोगों की सेहत से भी खिलवाड़ हो रहा है। चंद रुपये बचाने के लिए अपने घर के कार्यक्रम में लोग सरकारी शराब की दुकानों के बजाय अवैध तरीके से शराब का धंधा करने वालों से सामान खरीद रहे हैं।
शिमला पुलिस के डीएसपी कमल वर्मा का कहना है कि पुलिस छोटे से लेकर बड़े तस्करों को लगातार हिरासत में ले रही है। इसके खिलाफ पुलिस की मुहिम आने वाले समय में भी जारी रहेगी। तस्कर होम डिलवरी या फिर मोहल्ले ेमें छोड़ने की दे रहे सुविधा
तस्कर होम डिलीवरी से लेकर कई अन्य तरह के प्रलोभन देकर लोगों को सप्लाई दे रहे हैं। राजधानी से लेकर जिले के दूरदराज के क्षेत्र सभी जगह पर यही हाल है। घरों से लेकर मोहल्लों में सप्लाई दी जा रही है। कहीं कोटा तो नहीं अवैध धंधे की जड़
आबकारी विभाग की ओर से बिक्री का एक कोटा तय किया जाता है। इससे कम बिक्री करने पर उन्हें पैनल्टी लगती है। सभी को इस कोटे के तहत तय लक्ष्य को हासिल करना होता है। सूत्र बताते हैं कि इस कोटे को खत्म करने के लिए कई बार अवैध तरीके से शराब भी बेची जाती है। इसके कोई पुख्ता सुबूत आज तक नहीं हाथ लगे और न ही किसी ठेकेदार को रंगे हाथ पकड़ा गया है।