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देश के इस राज्य में प्लास्टिक में पैक इन 21 खाद्य पदार्थो की बिक्री पर लगी रोक

हिमाचल देश का पहला राज्य था जहां प्‍लास्टिक को सबसे पहले बैन किया गया था इस नयी मुहिम के तहत प्‍लास्टिक को वैज्ञानिक तरीके से ठिकाने लगाया जाएगा।

By Babita kashyapEdited By: Published: Wed, 11 Sep 2019 01:55 PM (IST)Updated: Wed, 11 Sep 2019 01:55 PM (IST)
देश के इस राज्य में प्लास्टिक में पैक इन 21 खाद्य पदार्थो की बिक्री पर लगी रोक
देश के इस राज्य में प्लास्टिक में पैक इन 21 खाद्य पदार्थो की बिक्री पर लगी रोक

शिमला, राज्य ब्यूरो। हिमाचल सरकार ने निर्णय लिया है कि प्लास्टिक पैकिंग में आने वाले चिप्स, कुरकुरे, नमकीन पैकिंग, प्लास्टिक थैलियों में आने वाले दूध की पैकिंग को एकत्र किया जाएगा। फिर अलग-अलग करके इसका निष्पादन किया जाएगा। प्लास्टिक में पैक होकर आने वाले 21 पदार्थाें की बिक्री पर भी रोक होगी। देश के सभी राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग में इस आशय का निर्णय लिया गया।

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मुख्य सचिव डॉ. श्रीकांत बाल्दी ने बताया कि पॉलीथीन को प्रतिबंधित करने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य था। पहाड़ों को प्लास्टिक व पॉलीथीन से मुक्त करने की दिशा में प्रदेश कदम-दर-कदम आगे बढ़ता रहा है। शहरी क्षेत्रों में नगर निगम, नगर निकायों व ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतों को इस कार्य के लिए शामिल किया जाएगा। जहां पर भी जंगलों में और खाली पड़े स्थानों पर प्लास्टिक प्रदूषण का कारण बना हुआ है। इसे एकत्र करके पहले अलग करेंगे और उसके बाद वैज्ञानिक तरीके से ठिकाने लगाया जाएगा।

 

हिमाचल का पहला कदम

  • 1 जनवरी 1999 को रंगीन पॉलीथीन बैग पर पूर्ण प्रतिबंध के अलावा फैक्टरियां बंद हुई।
  • 14 जून 2004 को 70 माइक्रोन से कम मोटाई वाले पॉलीथीन बैग पर रोक लगाई गई।
  • 2 अक्टूबर 2009 को गांधी जयंती पर प्लास्टिक बैग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया।
  • जुलाई 2013 में पॉलीथीन में पैक्स कुरकुरे, चिप्स, नकमीन पैकिंग पर रोक लगी थी।
  • 5 जून 2018 को थर्मोकोल के कप, प्लेट के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाई गई।

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प्लास्टिक बोतल में भरा पानी भी नुकसानदेह

जब प्लास्टिक बोतलें गर्मी के संपर्क में आती हैं तो इनसे 55 से 60 जहरीले रसायन निकलते हैं जो पानी में मिल जाते हैं। ऐसा पानी सेहत के लिए हानिकारक होता है।

ये बरतें एहतियात

पानी पीने से पहले उसे प्लास्टिक बोतल से शीशे की बोतल, स्टेनलेस स्टील या तांबे के बर्तन में डालें। खाने को प्लास्टिक के बर्तनों में नहीं बल्कि स्टेनलेस स्टील या शीशे के बर्तन में रखें। यदि आप बाहर खाना चाहते हैं तो किसी होटल या रेस्टोरेंट में जाएं न कि खाना घर पर मंगवाने के लिए ऑर्डर करें। घर पर खाना प्लास्टिक के बर्तन में लाया जाएगा जो सेहत के लिए घातक होगा।

महिलाओं को चाहिए कि वे अपने बच्चों को प्लास्टिक की बोतल में दूध न पिलाएं। इसके लिए  शीशे की बोतल सबसे बेहतर उपाय है। अपने बच्चों को स्कूल के लिए भोजन प्लास्टिक के टिफिन में न भेजकर स्टेनलेस स्टीन के बॉक्स में दें। 

सेहत के लिए रसायन हानिकारक

 देश के अधिकांश राज्यों में कंपनियां पानी की बोतलों के लिए पीवीसी पाइपों में प्रयोग होने वाले प्लास्टिक और बीपीए पॉलीकार्बोनेट प्लास्टिक व बिसफेनोल नामक रसायनों का प्रयोग करती हैं। ये रसायन सेहत के लिए बहुत हानिकारक होते हैं। 

अधिकतर लोग गर्म खाने व पानी को भी प्लास्टिक कंटेनर में रखते हैं। लेकिन खाना व पानी गर्म होने की वजह से प्लास्टिक से जहरीले रसायन इसमें मिल जाते हैं। यदि गर्म खाना रेफ्रिजरेटर में भी रखा जाए तो भी खाने की गर्मी के कारण जहरीले रसायन मिलने से वह नुकसान पहुंचाता है। ऐसा खाना खाने से हार्मोंन काअसंतुलन हो सकता है। इससे पॉलीसिस्टिक ओवरियन डिजीज (पीसीओडी), ओवरी से संबंधित समस्याएं, ब्रेस्ट कैंसर, कोलन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर आदि कई रोग हो सकते हैं।

खाने में रसायनों की वजह से पुरुषों में हार्मोन असंतुलन हो सकता है। इससे शुक्राणुओं की संख्या कम हो सकती है। इसके अलावा प्रोलैक्टिन का स्तर बढ़ऩे से महिलाओं को गर्भधारण में दिक्कत हो सकती है। इससे बांझपन की समस्या भी हो सकती है।

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