सावधान! छोटी सी उम्र में बच्चों को घेर रहा है ये बड़ा रोग, जानिये क्या है कारण
world Asthma day on 7May हिमाचल में बच्चे छोटी उम्र में ही दमे जैसे गंभीर रोग के शिकार हो रहे हैं जाे वाकई चिंतनीय है। यहां हर वर्ष 64 हजार नए दमे के रोगी सामने आ रहे हैं।
शिमला, यादवेन्द्र शर्मा। हिमाचल प्रदेश की आबोहवा बड़े शहरों व महानगरों से काफी अच्छी है। लेकिन रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी, बासी व खराब भोजन और नमी वाले स्थानों पर रहने के कारण प्रदेश के लोगों में दमा डेढ़ वर्ष के बच्चों को भी गिरफ्त में ले रहा है। ऐसे बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बच्चों को छोटी उम्र में ही दमे जैसा गंभीर रोग होना चिंतनीय है। हिमाचल में कुछ वर्षों से छोटे बच्चों में दमा रोग बढ़ रहा है। प्रदेश में हर वर्ष 64 हजार नए दमे के रोगी सामने आ रहे हैं। दमा रोगियों द्वारा सही और पूरा उपचार न करवाने के कारण ऐसे मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
हिमाचल को वर्ष 2022 तक दमा मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है। दमा फेफड़ों की एक बीमारी है जिसके कारण सांस लेने में कठिनाई होती है। दमा होने पर श्वास नलियों में सूजन आ जाती है। इस कारण सांस लेने में तकलीफ होती है। इस रोग के गंभीर होने पर मौत भी हो सकती है। मां द्वारा बच्चे को दो वर्ष तक लगातार दूध पिलाने से बच्चे दमा व एलर्जी से दूर रहते हैं। मां का दूध रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। नियमित तौर पर पूरा उपचार करवाने से ही दमा से बचा जा सकता है।
ये हैं लक्षण
- सांस लेने में घरघराहट, सीने में जकड़न।
- सांस के साथ सीने से सीटी की आवाज आना।
- सूखा बलगम या सूखी खांसी होना।
- चिड़चिड़ा होना, थका महसूस करना।
- सर्दी के समय अत्यधिक छींकें आना, नाक बहना, खांसी, सिरदर्द।
कारण
- बासी या खराब खाद्य पदार्थों का सेवन।
- इत्र, बदबूदार वातावरण, नमी वाले स्थान पर रहना।
- तनाव, क्रोध या डर, खून में संक्रमण।
- शराब व मादक पदार्थों का सेवन।
- खांसी, जुकाम व नजला।
- पालतू जानवरों से एलर्जी।
- कॉकरोच, दीमक या अन्य कीड़ों से एलर्जी।
- मौसम में बदलाव।
- धूमपान या धूमपान वाले वातावरण में रहना।
डेढ़ वर्ष तक के बच्चो में भी दमा रोग देखा जा रहा है। ऐसे बच्चों की संख्या कई बार एक ही
ओपीडी में तीन से चार हो जाती है।
-डॉ. अश्वनी सूद, विभागाध्यक्ष, शिशु रोग विभाग, आइजीएमसी शिमला