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पौधे लगाने के बाद साल में तीन बार लगता है केयर कैंप

जागरण संवाददाता शिमला बरसात में प्रदेशभर में कई सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं पौधा

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Jul 2020 07:07 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2020 07:07 PM (IST)
पौधे लगाने के बाद साल में तीन बार लगता है केयर कैंप
पौधे लगाने के बाद साल में तीन बार लगता है केयर कैंप

जागरण संवाददाता, शिमला : बरसात में प्रदेशभर में कई सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं पौधारोपण करती हैं। बरसात खत्म होते ही पौधे दम तोड़ने लग जाते हैं। हालांकि कई संस्थाएं व पर्यावरण प्रहरी ऐसे हैं, जो हर साल पौधे तो लगाते हैं ही, उनकी देखरेख का जिम्मा भी उठाते हैं। इन्हीं में एक है लायन्स क्लब इंटरनेशनल। पौधों की अच्छी तरह से देखभाल हो इसके लिए संस्था ने मशोबरा के समीप धनैण गांव स्थित जंगल को गोद लिया है। तीन साल के लिए इसे गोद लिया है। यहां पर दो साल में जितने भी पौधे लगाए हैं उनका सर्वाइव रेट 99 फीसद है। पौधे अब पेड़ बनने लग गए हैं। पौधों की फेंसिंग करवाई गई है।

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पहले जगह-जगह पर पौधारोपण किया जाता था, जिससे उनकी उचित देखभाल नहीं हो पाती थी, इसलिए अब एक स्थान को गोद लिया गया है। साल में तीन बार केयर कैंप लगाए जाते हैं। संस्था के करीब 39 सदस्य इन कैंप में जाकर पौधों की देखभाल करते हैं। वहां पर सफाई की जाती है।

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पौधारोपण नाम नहीं बल्कि जन

लायन्स क्लब इंटरनेशनल शिमला के अध्यक्ष डॉ. राजकुमार जिस्टू ने कहा कि पौधारोपण को एक जन आंदोलन बनाने की जरूरत है। वांछित लक्ष्य हासिल करने के लिए बड़े पैमाने पर लोगों की भागीदारी सुनिश्चित बनाने के प्रयास होने चाहिए। उन्होंने कहा कि व्यापक पौधारोपण प्रदेश में पर्यावरण संतुलन बनाए रखने की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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ये रखना होगा ध्यान

-पौधा जब बड़ा हो तब भी उसकी उचित देखभाल की जरूरत है। सबसे जरूरी उसे जानवरों से बचाना होगा।

-पौधारोपण अभियान दिखावे के लिए नहीं होना चाहिए। इसके लिए जिम्मेदारी सुनिश्चित होनी चाहिए।

-स्थानीय लोगों की जिम्मेदारी भी सुनिश्चित होनी चाहिए।

-पौधे लगाने के लिए जिस जमीन का चयन किया गया है वहां पर कौन सी किस्म का पौधा सर्वाइव कर सकता है इसकी जानकारी होना जरूरी।

-पौधे लगाने के बाद उसे तब तक पानी दें जब तक वह जड़े न पकड़ लें।

-पौधा लगाने के लिए गड्ढा अच्छी तरह से बनाएं।

-फेंसिंग करें, ताकि जानवर इन्हें नुकसान न पहुंचाए।

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पौधे लगाने के बाद विभाग अपने स्तर पर भी उनकी देखभाल करता है। पिछले दो साल से पौधारोपण के बाद उसकी देखभाल के लिए जिम्मेदारी सुनिश्चित की गई है, जिससे अच्छे नतीजे सामने आए हैं।

-आरके गुप्ता, चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट शिमला।


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