250 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले में केस दर्ज
हिमाचल के 250 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले में पहले बार पुलिस ने कार्रवाई करते हुए केस दर्ज किया है।
जागरण संवाददाता, शिमला : हिमाचल के 250 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले में पहली बार पुलिस ने छोटा शिमला थाने में धोखाधड़ी व फर्जीवाड़े का मामला दर्ज किया है। सीबीआइ भी जांच में जुटी है, हालांकि सीबीआइ ने अभी तक केस दर्ज नहीं किया है। पुलिस ने यह कार्रवाई राज्य परियोजना अधिकारी शक्ति भूषण की शिकायत पर की है, जिसे शिक्षा विभाग ने इस मामले की विभागीय जांच का जिम्मा सौंपा था।
जांच अधिकारी के अनुसार हिमाचल के कांगड़ा जिले के फतेहपुर, कर्नाटक के वादुखार केंद्र और पंजाब के लवली विश्वविद्यालय के 250 अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्रों की छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया लेकिन छात्रवृत्ति की यह राशि इन छात्रों को दी ही नहीं गई। जबकि यह राशि फर्जी खाते खोलकर आधार कार्ड का दुरुपयोग करते हुए फर्जी छात्रों को दी गई। शिमला पुलिस ने अब इसकी जांच का जिम्मा सब इंस्पेक्टर अश्वनी कुमार को सौंपा है। उधर सीबीआइ ने इस संबंध में कुछ रिकॉर्ड भी लिया है। सीबीआइ ने बीते दिनों प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर पूछा था कि क्या छात्रवृत्ति घोटाले को लेकर हिमाचल में कोई प्राथमिकी दर्ज है या नहीं। इससे संबंधित कुछ और जानकारी भी मागी थी।
25 से ज्यादा शिक्षण संस्थान शक के घेरे में
केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाओं में घोटाला होने के मामले की प्रारंभिक जाच में प्रदेश के 25 से अधिक निजी शिक्षण संस्थान शक के घेरे में हैं। इसके अलावा छात्रवृत्ति पोर्टल बनवाने वाले अफसर भी शक के दायरे में है। उच्च शिक्षा निदेशालय में गठित जाच कमेटी के सदस्यों के मुताबिक छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करने वाले पोर्टल (ईपास पोर्टल) में कई तरह की खामिया मिली हैं। इन खामियों का लाभ उठाते हुए ही निजी शिक्षण संस्थानों ने फर्जी दाखिला दिखाकर विद्यार्थियों के नाम पर बैंक अकाउंट खोले और सरकारी धनराशि हड़पी है।
शिक्षा विभाग की जांच रिपोर्ट में क्या
जाच रिपोर्ट के अनुसार चार साल में 2.38 लाख विद्यार्थियों में से 19,915 को चार मोबाइल फोन नंबर से जुड़े बैंक खातों में छात्रवृत्ति राशि जारी कर दी गई। 360 विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति चार ही बैंक खातों में ट्रासफर की गई। 5729 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने में तो आधार नंबर का प्रयोग ही नहीं किया गया है। छात्रवृत्ति आवंटन में निजी शिक्षण संस्थानों ने नियमों को ताक पर रखा। साल 2013-14 से लेकर साल 2016-17 तक शिक्षा विभाग ने भी किसी स्तर पर छात्रवृत्ति योजनाओं की मॉनीटरिंग नहीं की।
क्या है मामला
वित्तीय वर्ष 2013-14 से 2016-17 तक 924 निजी संस्थानों के छात्रों को 210.05 करोड़ और 18682 सरकारी संस्थानों के छात्रों को मात्र 56.35 करोड़ रुपये छात्रवृत्ति दिए जाने का खुलासा हुआ है। जाच में पता चला है कि छात्रवृत्ति की कुल रकम का करीब 80 फीसद बजट मात्र 11 फीसद निजी संस्थानों के छात्रों को दिया गया है। आरोप है कि इन संस्थानों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर छात्रवृत्ति की मोटी रकम हड़पी है। जनजातीय क्षेत्रों के छात्रों को कई साल तक स्कालरशिप नहीं मिल पाई। ऐसे ही एक छात्र की शिकायत पर इस फर्जीवाड़े से पर्दा उठा है। शिक्षा विभाग की जाच रिपोर्ट के मुताबिक 2013-14 से 2016-17 तक प्री और पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप के तौर पर छात्रों को कुल 266.32 करोड़ दिए गए हैं। इनमें गड़बड़ी पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप में हुई है। पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप में कुल 260. 31 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
इस संबंध में पुलिस थाना छोटा शिमला में धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है। मामले में पुलिस छानबीन कर रही है।
-ओमापति जम्वाल, पुलिस अधीक्षक शिमला