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तेजाब पीड़िताओं के जख्मों पर मरहम, 14 साल बाद मिला मुआवजा

मंडी के बहुचर्चित तेजाब कांड की पीड़ितों को 25 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। बोर्ड का यह फैसला पीड़िताओं के जख्मों पर मरहम का काम करेगा।

By Babita kashyapEdited By: Published: Thu, 02 Jan 2020 09:06 AM (IST)Updated: Thu, 02 Jan 2020 09:06 AM (IST)
तेजाब पीड़िताओं के जख्मों पर मरहम, 14 साल बाद मिला मुआवजा
तेजाब पीड़िताओं के जख्मों पर मरहम, 14 साल बाद मिला मुआवजा

मंडी, जेएनएन। मंडी के बहुचर्चित तेजाब कांड की दो पीड़ितों को 14 साल बाद मुआवजा मिलेगा। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की मुहिम दोनों पीड़ितों के लिए नया सवेरा लेकर आई है। ऐतिहासिक फैसले में आपराधिक क्षति मुआवजा बोर्ड ने प्रदेश सरकार को दोनों पीड़िताओं को 25 लाख रुपये मुआवजा देने के आदेश दिए हैं। 

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प्राधिकरण ने मामले में स्वत: संज्ञान लेकर बोर्ड के समक्ष पीड़ितों की पैरवी की। बोर्ड के अध्यक्ष, जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरके शर्मा और सदस्यों उपायुक्त मंडी ऋग्वेद ठाकुर, जिला पुलिस अधीक्षक गुरदेव शर्मा और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. जीवानंद चौहान ने निर्णय देते हुए 2005 में मंडी में हुए तेजाब कांड की मुख्य पीड़िता को पीड़िता मुआवजा स्कीम के तहत 13 लाख और सह पीड़िता को 12 लाख रुपये का मुआवजा देने को कहा। बोर्ड का यह फैसला दोनों पीड़िताओं के जख्मों पर मरहम लगाने का काम करेगा।

हाईकोर्ट ने बरकरार रखी थी सजा

जिला एवं सत्र न्यायालय मंडी ने मुहम्मद मगरूफ को दोषी करार देते हुए 17 जून 2007 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। अभियोजन पक्ष की तरफ से 31 गवाह पेश किए गए थे। दोषी ने फैसले के खिलाफ हाइकोर्ट में अपील की थी। हाईकोर्ट ने छह जनवरी 2012 को सत्र न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा था। इसके बाद दोषी सुप्रीम कोर्ट गया वहां भी उसे राहत नहीं मिली। दोषी एक बार पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया था, जिसे बाद में परवाणू से गिरफ्तार किया गया था। 

फैसले में गीता के श्लोक नेत्रम प्रधानम सर्वेन्दरियम का उल्लेख

बोर्ड के अध्यक्ष आरके शर्मा ने फैसले में गीता के श्लोक ‘नेत्रम प्रधानम सर्वेन्दरियम’ का उल्लेख किया है। उन्होंने कहा कि इस मामले की मुख्य पीड़िता की आंखों को पहुंची क्षति से न केवल उसके रोजाना के कार्य प्रभावित हुए हैं बल्कि जीवन की गुणवत्ता और दुनियादारी में अंत क्रिया की योग्यता भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है। मानव का चेहरा जैविक आवश्यकताओं के साथ व्यक्तित्व की पहचान के लिए भी सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। चेहरे की बनावट का विघटन व्यक्तिगत पहचान और सामाजिक भूमिका तक पहुंच को प्रभावित करता है। शादी अथवा रोजगार जैसी संभावनाओं पर भी प्रतिकूल असर डालता है। 

क्या था मामला

27 मई 2005 को इस मामले की मुख्य पीड़िता बस में बैठ कर घर जा रही थी। इसी दौरान मंडी शहर में दर्जी का काम करने वाला उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के मकान नंबर 403, गुलाब वाली गली का मुहम्मद मगरूफ बस में चढ़ा। हाथ में ली तेजाब की बोतल से मुख्य पीड़िता पर इसे फेंक दिया था। इससे मुख्य पीड़िता समेत बस में सवार 11 लोग घायल हो गए थे।

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