भूमि मालिक से वसूला जाएगा जीपीएस टैग का खर्च
जागरण संवाददाता, शिमला : प्रदेश हाईकोर्ट ने वन विभाग को यह बताने के आदेश दिए कि वह नगर निगम परिधि के
जागरण संवाददाता, शिमला : प्रदेश हाईकोर्ट ने वन विभाग को यह बताने के आदेश दिए कि वह नगर निगम परिधि के तहत निजी भूमि पर खड़े पेड़ों में जीपीएस टैग लगाने का खर्च संबंधित भूमि मालिक से कैसे वसूल रहे हैं। प्रधान मुख्य अरण्यपाल ने शपथपत्र के माध्यम से कोर्ट को बताया कि शिमला शहर में करीब दो लाख पेड़ो में नंबर लगा दिए हैं और करीब पांच हजार पेड़ों में जीपीएस को-ऑर्डिनेट्स लगाए हैं। निजी पेड़ों पर ये टैग लगाने का खर्च संबंधित भूमि मालिक से लिया जाएगा।
प्रधान अरण्यपाल ने कोर्ट को बताया कि यदि नगर निगम शिमला व राजस्व विभाग विशेषतया हलका पटवारी की पर्याप्त संख्या में तैनाती करे तो यह कार्य तेजी से पूरा किया जा सकता है। कोर्ट ने जिलाधीश शिमला को आदेश दिए कि वह इस कार्य के लिए हलका पटवारियों की तैनाती सुनिश्चित करे। कोर्ट ने जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान पेड़ों की मार्किंग, शिमला में वनस्पति विकास का हवाई सर्वेक्षण तथा जीपीएस टैगिंग जैसे मुद्दों को तय किया।
हाईकोर्ट ने शिमला में पेड़ों के अवैध कटान पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने वन विभाग को निर्देश जारी करते हुए कहा था कि नगर निगम शिमला के क्षेत्राधिकार में आने वाले सभी पेड़ों की निगरानी करने के लिए उनकी गिनती के साथ-साथ प्रत्येक पेड़ व पौधे पर रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन टैग जाए जाएं। ये पेड़ चाहे सरकारी भूमि पर हों या निजी भूमि पर और चाहे किसी भी प्रजाति के हों। निजी भूमि पर उगे पेड़ों पर टैग लगाने की कीमत भूमि मालिक से लेने को कहा गया है क्योंकि पर्यावरण को बचाने का संवैधानिक कर्तव्य सबका बनता है। इन टैग की मदद से पेड़ का विकास व उसको काटे जाने की निगरानी आसानी से की जा सकेगी। कोर्ट ने शिमला नगर निगम परिधि में जरूरत पड़ने पर सरकारी एजेंसी द्वारा ही निजी अथवा सरकारी भूमि पर पेड़ को काटने के लिए अधिकृत करने के आदेश दिए। शिमला शहर में फॉरेस्ट कवर व पेड़ों की ग्रोथ जाचने के लिए पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के साथ मिलकर ड्रोन अथवा सेटेलाइट की मदद मैपिंग करने के आदेश भी दिए हैं। पेड़ों की ग्रोथ जानने के लिए एनवायर्नमेंटल ऑडिट करने के आदेश भी दिए गए हैं। मामले की पैरवी कर रहे कोर्ट मित्र अधिवक्ता देवेन खन्ना ने कोर्ट को बताया था कि लोग अपने प्लॉट से पेड़ हटाने के उद्देश्य से पेड़ों को निर्दयतापूर्वक तेजाब डाल कर सुखाते हैं और बरसात के मौसम में इन्हें काटने की इजाजत विभिन्न हथकंडे अपना कर हासिल कर लेते हैं। कोर्ट ने वन सचिव व नगम आयुक्त की कार्यशैली पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा था कि इन्होंने 4 नवंबर 2014 के कोर्ट के आदेशों पर आज तक अमल नहीं किया अत: इसे उपयुक्त समय पर जरूर निपटा जाएगा क्योंकि इन्होंने अदालत के आदेश की अवहेलना की है। कोर्ट ने तीन साल पहले शिमला शहर के सभी पेड़ों की गिनती कर छह माह के भीतर इनकी जानकारी वेबसाइट पर डालने के आदेश दिए थे परन्तु ऐसा आज तक नहीं हुआ। कोर्ट ने कहा कि संबंधित अधिकारी कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई से नहीं बच सकते। मामले पर सुनवाई 19 दिसम्बर को होगी।