हिमाचल में पैराक्वाट कीटनाशक लील रहा जिंदगियां
राज्य ब्यूरो, शिमला : बाजार में आसानी से मिलने वाला खतरनाक कीटनाशक पैराक्वाट आत्महत्या करने के लिए इ
राज्य ब्यूरो, शिमला : बाजार में आसानी से मिलने वाला खतरनाक कीटनाशक पैराक्वाट आत्महत्या करने के लिए इस्तेमाल हो रहा है। प्रदेश में इस साल ऐसे 17 मामले सामने आ चुके हैं। राज्य के सबसे बड़े इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आइजीएमसी) में जहरीला कीटनाशक निकलकर आत्महत्या करने का इरादा रखने वालों में से 14 को बचाया नहीं जा सका।
खेतों में खरपतवार खत्म करने के लिए पैराक्वाट कीटनाशक इस्तेमाल किया जाता है। प्रदेश के किसी भी स्थान पर बाजार से यह जहरीला कीटनाशक खरीदा जा सकता है। इसे लेकर किसी प्रकार की कोई बंदिश नहीं है। यदि एक दशक के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो आइजीएमसी में 56 मामले आए, जिनमें से 41 लोगों को नहीं बचाया जा सका। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी पाया है कि इस कीटनाशक का इस्तेमाल आत्महत्या के लिए हो रहा है। उन्होंने किसानों के साथ-साथ आम लोगों को भी इस कीटनाशक के प्रभाव को गंभीरता से लेने के लिए कहा है।
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पैराक्वाट है क्या
पैराक्वाट किसी भी हरे पौधे को नष्ट करता है। किसान खेतों में उगने वाले खरपतवार को नष्ट करने के लिए इसका पैराक्वाट कीटनाशक का इस्तेमाल करते हैं। यह कीटनाशक खरपतवार को जला देता है, लेकिन इसके उपयोग से जमीन का उपजाऊपन भी खराब होता है। जहां भी इस कीटनाशक का उपयोग होता है वहां की मिट्टी के साथ-साथ पेयजल भी दूषित होता है।
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32 देशों में प्रतिबंधित है पैराक्वाट
विश्व के 32 देशों में पैराक्वाट कीटनाशक को प्रतिबंधित किया जा चुका है। कारण यह था कि लोग खेतों में इस्तेमाल करने के साथ-साथ आत्महत्या करने के लिए भी इस्तेमाल कर रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस कीटनाशक को खतरनाक श्रेणी में शामिल किया है। यूरोपीय संघ के देशों ने भी इसे प्रतिबंधित किया हुआ है।
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पैराक्वाट कीटनाशक निगलने वालों का इलाज यदि पांच-छह घंटे के भीतर नहीं हुआ तो ऐसे व्यक्ति की मौत निश्चित है। इससे प्रभावित व्यक्ति को बचाना बहुत मुश्किल है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और पैस्टीसाइड एक्शन नेटवर्क इंटरनेशनल ने पैराक्वाट को सबसे खतरनाक कीटनाशकों में सूची में किया है। यह इनता खतरनाक है कि प्रजनन संबंधी संभावनाओं को खत्म कर देता है। इसे निगलने वाला पार्किंसन रोग का शिकार हो सकता है। इसका असर शरीर के अहम अंगों पर होता है और इनसान की मौत हो जाती है। इसका इस्तेमाल आत्महत्या करने के लिए हो रहा है, जिसे देखते हुए बाजार में इस की बिक्री पर प्रतिबंध लगना चाहिए।
-डॉ. संजय विक्रांत, निभागाध्यक्ष नेफ्रोलॉजी विभाग आइजीएमसी।