सवालों के घेरे व्यापार मंडल मंडी
जागरण संवाददाता, मंडी : व्यापार मंडल मंडी 18 साल तक नियमों को ताक पर रखकर चलता रहा। जि
जागरण संवाददाता, मंडी : व्यापार मंडल मंडी 18 साल तक नियमों को ताक पर रखकर चलता रहा। जिला व्यापार मंडल व प्रदेश कार्यकारिणी के पदाधिकारियों ने इस मामले में पूरी तरह से चुप्पी साध रखी। व्यापार मंडल के संविधान को ठेंगा दिखा इतनी सालों में न तो व्यापार मंडल के चुनाव करवाए न ही किसी की सदस्यता का नवीनीकरण किया। इतना ही नहीं 18 साल तक किसी भी व्यापारी से सदस्यता शुल्क तक नहीं लिया गया। 18 साल पहले जो पदाधिकारी चुने गए थे, वही अपनी मर्जी से व्यापार मंडल को चलाते रहे। व्यापार मंडल के संविधान के तहत हर तीन साल बाद सदस्यता का नवीनीकरण व नई कार्यकारिणी का गठन होना चाहिए था। लेकिन इतने लंबे अंतराल में न कार्यकारिणी के चुनाव हुए न ही सदस्यों का विस्तार हुआ। शहर के कुछ व्यापारियों ने समानांतर व्यापार मंडल खड़ा करने की कवायद शुरू की तो आनन-फानन में व्यापार मंडल की कार्यकारिणी के पदाधिकारियों ने अपने-अपने पदों से सामूहिक इस्तीफा देकर चुनाव करवाने की घोषणा कर दी। इस मामले में जिला व्यापार मंडल की भूमिका भी पूरी तरह से संदेहास्पद लग रही है। अगर व्यापार मंडल मंडी के पदाधिकारियों ने तय नियमों के तहत तीन बाद साल बाद चुनाव नहीं करवाए। सदस्यता का नवीनीकरण नहीं किया तो जिला व्यापार मंडल ने इस पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की। खुद संज्ञान लेकर चुनाव क्यों नहीं करवाए? अगर चुनाव करवाने में आनाकानी की जा रही थी तो नियमानुसार व्यापार मंडल मंडी की कार्यकारिणी को भंग क्यों नहीं किया गया। शहर में करीब दो हजार से अधिक व्यापारी हैं। व्यापार मंडल के पास महज 750 व्यापारी ही पंजीकृत हैं।
इतने सालों तक अपनी कुर्सी बचाए रखने के लिए अन्य व्यापारियों को सदस्यता नहीं दी गई या फिर कोई व्यापार मंडल के साथ जुड़ने का इच्छुक नहीं था। इतने सालों तक चुनाव क्यों नहीं करवाए गए। इन सब बातों पर व्यापार मंडल के पदाधिकारियों ने यह कहते हुए चुप्पी साध ली है कि गलती हुई है। अब भुगतना पड़ेगी।
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व्यापार मंडल का पूरा लेखा जोखा आम सभा में रखा जाएगा। अब नए सिरे से सदस्यता अभियान शुरू किया गया है।
-राजेश महेंद्रू, पूर्व महासचिव व्यापार मंडल मंडी।
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व्यापार मंडल के चुनाव से पूर्व पदाधिकारियों को पूरी तरह से दूर रखा जाए। एक निष्पक्ष कमेटी की देख रेख में सदस्यता अभियान व चुनाव हो। जिस पर सभी व्यापारी सहमत हों।
-लक्ष्मेंद्र ¨सह गुलेरिया, पूर्व अध्यक्ष इंदिरा मार्केट एसोसिएशन।