उरला के कसयाण जंगल में तीस हरे पेड़ काटे
काटुओं ने चीड़ के तीस पेड़ों पर कुल्हाड़ी चला कर धराशायी कर दिया है। वन विभाग की ओर से वन रक्षक कमल किशोर ने पद्ध्र पुलिस थाना में इस बारे एफआईआर दर्ज करवाई गई है। पुलिस ने कसयाण जंगल का मुआयना करने पर चीड़ के 30 हरे भरे पेड़ों पर वन काटुओं द्वारा कुल्हाड़ी चलाने का खुलासा किया है। पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाने का मामला पुलिस ने शक के आधार पर कस्याणी जंगल पर हक हकूक रखने वाले जगेहड़ गांव के लोगों के खिलाफ
सहयोगी, पद्धर : वन परिक्षेत्र उरला के अधीन कसयाण जंगल में वन काटुओं ने चीड़ के 30 पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाकर धराशायी कर दिया है। वनरक्षक कमल किशोर ने पद्धर पुलिस थाना में एफआइआर दर्ज करवाई गई है। पुलिस ने कसयाण जंगल का मुआयना करने पर चीड़ के 30 हरे-भरे पेड़ों पर वन काटुओं द्वारा कुल्हाड़ी चलाने का खुलासा किया है। पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाने का मामला पुलिस ने शक के आधार पर कस्याणी जंगल पर हक हकूक रखने वाले जगेहड़ गांव के लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। सभी पेड़ जंगल से बरामद कर लिए हैं। काटे गए 13 पेड़ों के मोछे कर जंगल में झाड़ियों में छुपाया था। जबकि 17 पेड़ मौका पर गिराए पाए गए। उपमंडलीय पुलिस अधीक्षक पद्धर मदनकांत शर्मा ने अवैध कटान के मामले का खुलासा किया है।
डीएसपी ने बताया कि कसयाण जंगल में जिस जगह पर अवैध कटान हुआ है, उस क्षेत्र से सड़क निर्माण को लेकर चुने की अलाइनमेंट की गई है। उस सड़क के निर्माण से केवल मात्र जगेहड़ गांव ही लाभान्वित होता है। इससे स्पष्ट होता है कि जगहेड़ गांव के लोगों ने गांव को सड़क सुविधा से जोड़ने के लिए वन अधिकार नियमों की शर्तों को पूरा न करते हुए अवैध कटान को अंजाम दिया हो। पद्धर पुलिस ने वन रेंज उरला के कार्यकारी वन परिक्षेत्र अधिकारी शुकरू राम और वनरक्षक कमल किशोर के साथ कसयाण जंगल का मुआयना किया।
अवैध तरीके से काटे गए पेड़ों को पुलिस ने पैमाइश कर वन विभाग के सुपुर्द कर दिया है। वन विभाग ने अवैध कटान में काटे गए पेड़ों की अनुमानित लागत नब्बे हजार रुपये आंकी है। पुलिस ने मामला दर्ज किया है।
------------
सूचना मिल रही है कि ग्रामीणों ने लोक निर्माण विभाग और राजस्व विभाग से कसयाण से जगेहड़ सड़क निर्माण को लेकर यहां अलाइनमेंट करवाई थी। जिसकी वन विभाग को भनक तक नहीं दी गई। जबकि जंगल में बकायदा चुने की अलाइनमेंट पाई गई है। जिसकी पुलिस छानबीन कर रही है। काटे गए सभी तीस पेड़ पंचम श्रेणी के हैं।
-शुकरू राम, कार्यकारी वनपरिक्षेत्र अधिकारी, उरला रेंज।