65 लाख से बना आराध्य देव कमरुनाग का सूरजपंख, जानिये क्या है इसका इतिहास Mandi News
मंडी जनपद के आराध्य देव कमरुनाग का नया सूरजपंख यानी मोहरा एक माह में बनकर तैयार हुआ है इसे बनाने में डेढ़ किलो सोना 13 किलो चांदी व अष्टधातु का इस्तेमाल हुआ है।
मंडी/गोहर, जेएनएन। मंडी जनपद के आराध्य देव कमरुनाग का नया सूरजपंख यानी मोहरा बनकर तैयार हो गया है। बल्ह घाटी के बग्गी के चंद्रमणि ने भाई चमन लाल के साथ एक माह में इसे बनाया है। इस पर 65 लाख रुपये खर्च आया है। इसमें डेढ़ किलो सोना, 13 किलो चांदी व अष्टधातु का इस्तेमाल हुआ है। कांढी कमरुनाग की पहाड़ी पर देव कमरुनाग का इतिहास महाभारत से जुड़ा हुआ है।
मोहरे की विधिवत प्रतिष्ठा के बाद देव कमरुनाग वीरवार को माता शिकारी मंदिर के लिए रवाना हो गए। नए मोहरे का वजन करीब 15 किलोग्राम है। यह पहले के मोहरे से छह किलोग्राम अधिक वजनी है। मोहरे की प्रतिष्ठा के दौरान कमरुनाग मंदिर व समीपवर्ती ऐतिहासिक झील के आसपास सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद थे। देवता के कारकूनों की उपस्थिति में मोहरे की प्राण प्रतिष्ठा की गई। बाद में मंदिर व झील की परिक्रमा करवाई गई। दो दिन की प्रक्रिया के बाद मोहरे को वापस कमरुनाग लाया जाएगा।
1963 में बनाया गया था पुराना सूरजपंख
देवता के पुराने सूरजपंख को 1963 में बनाया गया था। सूरजपंख के चांदी वाले भाग में दरारें पड़ गई, जो भगवान विष्णु की आकृति तक पहुंच गई थी। इसे देखते हुए कमेटी ने नए सूरजपंख का निर्माण करवाने का निर्णय लिया था।
मोहरे पर उकेरी हैं आकृतियां
देव कमरुनाग के सूरजपंख पर मुख्य रूप से भगवान विष्णु की मूर्ति बनी है। इसके नीचे दोनों तरफ पांच पांडवों व द्रौपदी की आकृतियां उकेरी गई हैं।