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2030 तक खत्म हो जाएगी लीवर की ये खतरनाक बीमारी, सरकार ने बनाई ऐसी योजना

सरकार के देश में राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम के तहत सभी जिला अस्पतालों में हेपेटाइटिस के टेस्ट फ्री कर दिए हैं वहीं इलाज भी निशुल्क किया जाएगा।

By Babita kashyapEdited By: Published: Mon, 05 Aug 2019 09:58 AM (IST)Updated: Mon, 05 Aug 2019 09:58 AM (IST)
2030 तक खत्म हो जाएगी लीवर की ये खतरनाक बीमारी, सरकार ने बनाई ऐसी योजना
2030 तक खत्म हो जाएगी लीवर की ये खतरनाक बीमारी, सरकार ने बनाई ऐसी योजना

मंडी, काकू चौहान। अब लीवर से संबंधित घातक बीमारियां जानलेवा साबित नहीं होंगी। प्रारंभिक अवस्था में ही लीवर कैंसर व लीवर से संबंधित अन्य बीमारियों का पता लगाया जा सकेगा और उनका इलाज भी किया जाएगा। इसके लिए अस्पतालों में हेपेटाइटिस बी व सी के टेस्ट नि:शुल्क होंगे। सभी अस्पतालों में मरीजों को यह सुविधा मिलेगी। मौजूदा समय में हेपेटाइटिस विश्वभर में उभरती हुई स्वास्थ्य समस्या है। हेपेटाइटिस का समय पर इलाज न होने से यह बीमारी लीवर को प्रभावित करती है और लीवर कैंसर होने का खतरा हो जाता है। सरकार ने 2030 तक देश में राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम के तहत हेपेटाइटिस बीमारियों को खत्म करने की योजना बनाई है। 

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कार्यक्रम के तहत सभी जिला अस्पतालों में हेपेटाइटिस के टेस्ट फ्री कर दिए हैं, वहीं इलाज भी नि:शुल्क किया जाएगा। हालांकि अब तक सिर्फ आइजीएमसी शिमला व टांडा मेडिकल कॉलेज में ही टेस्ट किए जाते थे लेकिन जोनल अस्पताल में भी हेपेटाइटिस के सभी टेस्ट होंगे और लीवर से संबंधित बीमारियों का इलाज भी किया जाएगा। हेपेटाइटिस के तीन महीने के कोर्स के बाद बीमारी को खत्म किया जा सकेगा।

 

सभी दवाएं मुफ्त मिलेंगी। गंभीर स्थिति में मरीज को टांडा व आइजीएमसी शिमला रेफर किया जाएगा। वहां पर भी मरीज को नि:शुल्क इलाज की सुविधा मिलेगी। पहले चुनिंदा अस्पतालों में ही हेपेटाइटिस के इलाज की सुविधा उपलब्ध थी। अस्पतालों में हेपेटाइटिस के इलाज का खर्च मरीजों को खुद उठाना पड़ता है। तीन माह के कोर्स का करीब 50 से 60 हजार रुपये खर्च उठाना पड़ता था। इस वजह से यह बीमारी मरीजों पर आर्थिक बोझ डालती है और समय पर इलाज न होने से लीवर कैंसर हो जाता था जो जानलेवा साबित होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होग

अस्पताल में हेपेटाइटिस के सभी टेस्ट और इलाज भी नि:शुल्क होगा। गंभीर स्थिति में मरीज को टांडा या

आइजीएमसी रेफर किया जा सकता है। 

डॉ. जीवानंद चौहान, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, मंडी

ऐसे करें बचाव

खून व खून से बने उत्पाद सिर्फ लाइसेंस प्राप्त ब्लड बैंक से ही लें। पहले से इस्तेमाल सुई, ब्लेड आदि का इस्तेमाल न करें। सुरक्षित यौन संबंध बनाएं और कंडोम का इस्तेमाल करें, अपने शिशु को जन्म के समय हेपेटाइटिस का टीका लगाएं। हाथ अच्छे से धोएं व पानी उबाल कर पीएं। 

यह है दवा कोर्स

हेपेटाइटिस बी की दवा तीन से छह माह तक चलती है। दवा छोड़ देने से वायरस के दोबारा सक्रिय होने की आशंका रहती है। इसकी पुरानी दवा की एक गोली 30 रुपये की आती है लेकिन अब फ्री में इलाज होगा।

ऐसे फैलती है बीमारी

हेपेटाइटिस एक संक्रमित रोग है। यह बीमारी असुरक्षित इंजेक्शन के प्रयोग करने, असुरक्षित यौन क्रिया, गर्भवती महिला से नए शिशु को, पहले से इस्तेमाल किए गए इंजेक्शन की सुई और दूषित पानी के सेवन से होती है। 

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