सरकार के दावे खोखले, बालिका आश्रमों में लड़कियों की सुरक्षा का जिम्मा संभाल रहे हैं पुरुष
मंडी के सुंदरनगर में बालिका आश्रम में अधीक्षक व वार्डन का अहम पद होता है। लेकिन यहां पर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के नियमों का पालन नहीं हो रहा है।
मंडी, सुरेंद्र शर्मा। बेटियों की सुरक्षा को लेकर सरकार भले ही कानून बना रही है, लेकिन धरातल पर दावे खोखले ही साबित हो रहे हैं। प्रदेश समेत अन्य राज्यों के बालिका आश्रमों में लड़कियों के साथ छेड़छाड़ के मामले सामने आने के बाद भी सरकार लड़कियों की सुरक्षा को लेकर सजग नहीं है। जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत बालिका आश्रमों का संचालन व देखरेख का कार्यभार महिला कर्मचारियों के कंधों पर होना आवश्यक हैं, लेकिन विपरीत इसके बालिका आश्रमों में लड़कियों की सुरक्षा का जिम्मा आज भी पुरुष संभाले हुए हैं।
मंडी जिला के सुंदरनगर में बालिका आश्रम इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। बालिका आश्रम में अधीक्षक व वार्डन का अहम पद होता है। लेकिन यहां पर जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन) एक्ट के नियमों का पालन नहीं हो रहा है। दोनों महत्वपूर्ण पदों पर महिला कर्मचारी की बजाय पुरुष कर्मचारी तैनात हैं। आश्रम में रहने वाली लड़कियां पुरुष कर्मचारी की बजाय महिला कर्मचारी से बिना किसी झिझक के बात कर सकती है।
सुंदरनगर बालिका आश्रम में हालांकि लड़कियों के साथ किसी तरह के दुव्र्यवहार का कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन महिला कर्मचारियों के स्थान पर पुरूष कर्मचारियों की तैनाती भविष्य में सवाल खड़ा कर सकती है। बालिका आश्रम की व्यवस्था को लेकर समय समय पर निरीक्षण किया जाता है।
प्रशासनिक अधिकारी भी निरीक्षण में शामिल रहते हैं, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। बालिका आश्रमों में लड़कियों के साथ छेड़छाड़ की घटना से देवभूमि भी अछूती नहीं रही है। इतिहास के पन्नों को पलट कर देखा जाए तो चंबा जिले के बालिका आश्रम में लड़कियों के साथ छेड़छाड़ के आरोप लग चुके हैं।
बालिका आश्रम में अधीक्षक, वार्डन व अन्य पदों पर महिला कर्मचारियों की तैनाती को लेकर उच्च अधिकारियों से पत्राचार किया गया है। बालिका आश्रम के विस्तार के लिए भवन निर्माण कार्य का जिम्मा लोक निर्माण विभाग को सौंपा गया है।
-डीआर नाइक, चाइल्ड प्रोटेक्शन आफिसर मंडी।