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हिमाचल को टीबी मुक्‍त बनाने के लिए नई योजना लागू, मरीज लाओ, 500 रुपये पाओ

हिमाचल को टीबी मुक्‍त बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने नई योजना लागू की है जिसमें टीबी मरीज को अस्‍पताल लाने पर 500 रुपये इनफोरमर इंनसेंटिव स्वास्थ्य विभाग देगा।

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 28 Jan 2020 08:59 AM (IST)Updated: Tue, 28 Jan 2020 08:59 AM (IST)
हिमाचल को टीबी मुक्‍त बनाने के लिए नई योजना लागू, मरीज लाओ, 500 रुपये पाओ
हिमाचल को टीबी मुक्‍त बनाने के लिए नई योजना लागू, मरीज लाओ, 500 रुपये पाओ

मंडी, मुकेश मेहरा। हिमाचल प्रदेश को टीबी मुक्त बनाने के लिए अब इसके मरीजों को अस्पताल तक लाने वालों को 500 रुपये इनफोरमर इंनसेंटिव स्वास्थ्य विभाग देगा। इसमें आम लोगों सहित आशा वर्कर, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहित स्वयं मरीज भी शामिल हैं। प्रदेश में वर्तमान में 15000 से अधिक टीबी के मरीज हैं। प्रदेश को वर्ष 2021 तक टीबी मुक्त बनाने के लिए प्रदेशभर में अभियान स्वास्थ्य विभाग ने छेड़ रखा है। इसके तहत निजी क्लीनिक चलाने वालों के साथ-साथ विभाग ग्रामीण स्तर तक भी अभियान छेड़े हुए है लेकिन अक्सर मरीज एकदम सामने नहीं आते हैं।

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इसी कड़ी में अब आयुर्वेद विभाग, आंगनबाड़ी व आशा वर्करों सहित अन्य लोगों से भी सहयोग लिया जा रहा है। विभाग ने तय किया है कि अगर कोई व्यक्ति जो सरकारी वेतन न प्राप्त करता हो, वह किसी ऐसे व्यक्ति को स्वास्थ्य विभाग के डीएमसी यानी डेजिग्नेटिस्ट माइक्रोसॉफीसेंटर लाता है तथा जांच में उसके बलगम में टीबी के लक्षण पाए जाते हैं तो उसको लाने वाले व्यक्ति को 500 रुपये इनफोरमर इनसेंटिव के रूप में दिया जाएगा। इस इंनसेंटिव को देने का एकमात्र लक्ष्य केवल टीबी से पीड़ित मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाना है। यही नहीं किसी स्थित में अगर मरीज अस्पताल से चला जाता है तो जो व्यक्ति उसे लेकर आया होगा चाहे वह आम ग्रामीण है या आशा वर्कर आदि उनके मोबाइल नंबर या मरीज के मोबाइल नंबर के जरिए उसके घर तक विभाग की टीम पहुंचेंगी तथा उसके परिजनों को भी इसके बारे में अवगत करवा इलाज आरंभ करेगी। इसी कड़ी में अब प्रदेश को टीबी मुक्त बनाने के लिए इसी कड़ी में यह कदम उठाए जा रहे हैं।

मार्च-2019 के आंकड़ों के मुताबिक जिला बिलासपुर में 488, चंबा में 1118, हमीरपुर में 772, कांगड़ा में 3461, किन्नौर में 110, कुल्लू में 1449, लाहुल स्पीति में 18, मंडी में 2370, शिमला में 2852, सिरमौर में 861, सोलन में 2223, ऊना में 759 मरीज पाए गए थे। हालांकि इसके बाद भी ग्रामीण स्तर पर बड़े पैमाने पर अभियान चला है तथा उसमें भी मामले सामने आए थे, जबकि कुछ मरीज अपना छह माह का कोर्स पूरा कर इस बीमारी से निजात पा सकते हैं ।


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