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भितरघात व अहंकार में डूबी कांग्रेस की लुटिया

यहां टिकट की दौड़ में 16 कार्यकर्ता शामिल थे। लाल सिंह कौशल को टिकट दिए जाने के विरोध में टेक चंद डोगरा एंड कंपनी ने पार्टी से किनारा कर लिया।

By Babita KashyapEdited By: Published: Thu, 21 Dec 2017 10:40 AM (IST)Updated: Thu, 21 Dec 2017 12:47 PM (IST)
भितरघात व अहंकार में डूबी कांग्रेस की लुटिया
भितरघात व अहंकार में डूबी कांग्रेस की लुटिया

मंडी, जागरण संवाददाता। मंडी जिला में कांग्रेस मतदाताओं की नब्ज टटोलने में पूरी तरह से विफल रही। कांग्रेस की लुटिया डुबोने में भितरघात, गुटबाजी व अहंकार ने अहम भूमिका निभाई। भाजपा की आंधी में दिग्गज भी कांग्रेस की लाज नहीं बचा पाए। हर हलके में मतदाताओं ने कांग्रेस को जमकर धोया। मतदाताओं ने कांग्रेस के खिलाफ जमकर अपना आक्रोश निकाला। कांग्रेस प्रत्याशियों को यहां 5000 से लेकर 16000 के मतांतर से हार का सामना करना पड़ा। भितरघात व गुटबाजी के चलते नाचन हलके में कांग्रेस को सबसे बड़ी हार का मुंह देखना पड़ा। कांग्रेस प्रत्याशी लाल सिंह कौशल 15896 मतों से गच्चा खा गए।

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यहां टिकट की दौड़ में 16 कार्यकर्ता शामिल थे। लाल सिंह कौशल को टिकट दिए जाने के विरोध में टेक चंद डोगरा एंड कंपनी ने पार्टी से किनारा कर लिया। साथ लगते बल्ह हलके में हालांकि कांग्रेस में गुटबाजी तो नहीं थी लेकिन यहां कई मुद्दों को लेकर कांग्रेस प्रत्याशी प्रकाश चौधरी को मतदाताओं के आक्रोश का सामना करना पड़ा।

संगठन में अपर रिवालसर की अनदेखी, नेरचौक क्षेत्र के लोगों पर नगर परिषद व गागल में पुलिस चौकी खोलने जैसे निर्णय प्रकाश चौधरी के खिलाफ गए। वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की अनदेखी व छुटभैये नेताओं को मुंह लगाकर रखना महंगा पड़ गया। संगठन में ऐसे लोगों को तवज्जो दी गई थी जिनका जनता में कोई जनाधार नहीं था। इन्होंने प्रकाश चौधरी को कभी जमीनी हकीकत से रूबरू नहीं होने दिया। उन्हें हमेशा फीलगुड महसूस करवाते रहे। हालांकि प्रकाश चौधरी ने विकास कार्य करवाने में इस बार कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी थी।

उनकी अपनी ही जाति के लोगों ने इस बार उनका पूरी तरह से साथ नहीं दिया और इंद्र सिंह गांधी के हाथों 12811 मतों से मात खा गए। बल्ह हलके में 1990 के बाद कांग्रेस पार्टी की इतने बड़े मतांतर के साथ दूसरी बड़ी हार है। 1990 में भाजपा के दामोदर दास ने बल्ह के गांधी चौधरी पीरू राम को 14100 वोटों से पराजित कर हमेशा के लिए राजनीति के अखाड़े से बाहर कर दिया था।

करसोग हलके में मनसा राम भी इस बार अपनी कुर्सी नहीं बचा पाए। राजनीति में उनका लंबा अनुभव भी इस बार काम नहीं आया। सुंदरनगर हलके में राकेश जंबाल व पूर्व मंत्री रूप सिंह ठाकुर की जुगलबंदी कांग्रेस के सोहन लाल ठाकुर पर भारी पड़ी और उन्हें 9263 मतों से पराजय का मुंह देखना पड़ा। सराज हलके में कांग्रेस की गुटबाजी का फायदा उठाने में भाजपा के दिग्गज जयराम ठाकुर इस बार भी सफल रहे।

कांग्रेस के चेतराम ठाकुर को 11254 मतों से शिकस्त देकर जता दिया कि सराज की वादियों में कमल की काट आसान नहीं है। 2012 के मुकाबले इस बार उनके मतांतर में 6000 से अधिक का इजाफा हुआ है। द्रंग हलके में कौल सिंह ठाकुर व उनके सिपहसलारों को अतिआत्मविश्वास व पूर्ण चंद ठाकुर को हल्के में लेना महंगा पड़ा। चुनाव के दौरान जिस पूर्ण चंद को खुद के लिए फायदे का सौदा बता रहे थे। उसी पूर्ण चंद ठाकुर ने कौल सिंह के नौवीं बार विधानसभा में पहुंचने की मंशा पर पानी फेर दिया। करीब 6541 वोटों से हार देखनी पड़ी।

धर्मपुर हलके के लोगों ने 2012 के चुनाव से सबक लेते हुए इस बार कांग्रेस को खूब सबक सिखाया। 2012 के चुनाव में भाजपा दिग्गज महेंद्र सिंह ठाकुर का जीत का मतांतर मात्र 1000 रहा था। इस बार उन्होंने 11964 वोटों से जीत हासिल की। सरकाघाट व सदर हलके में भी गुटबाजी के चलते कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी। जोगेंद्रनगर हलके में कांग्रेस मात्र 6200 वोटों पर सिमट गई। हर हलके में मतदाताओं ने दिल खोलकर भाजपा का साथ दिया और यहां कांग्रेस प्रत्याशी फट्टे ढोल की तरह पिट गए।

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