लेह रेललाइन निर्माण में भूमि नहीं बनेगी बाधा
हंसराज सैनी मंडी बिलासपुर-मनाली-लेह रेललाइन के निर्माण में भूमि बाधा नहीं बनेगी। हिमाचल क
हंसराज सैनी, मंडी
बिलासपुर-मनाली-लेह रेललाइन के निर्माण में भूमि बाधा नहीं बनेगी। हिमाचल के चार जिलों बिलासपुर, मंडी, कुल्लू व लाहुल-स्पीति में 75 व केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लेह क्षेत्र में 90 फीसद वन भूमि यानी सरकारी भूमि से होकर रेललाइन गुजरेगी। लेह क्षेत्र में मात्र 10 व हिमाचल में 25 फीसद निजी भूमि का ही अधिग्रहण होगा। 465 किलोमीटर लंबी रेललाइन का 51 फीसद हिस्सा सुरंगों व पुलों से होकर गुजरेगा। रेल मंत्रालय को सुरंगों के मुहाने व पुलों के निर्माण वाली जगह का क्षतिपूर्ति मुआवजा ही वन विभाग को देना होगा।
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जद में आएंगे 13 वन्य प्राणी विहार
सामरिक व पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण इस रेललाइन की जद में हिमाचल व लेह के 13 वन्य प्राणी विहार आएंगे। इनमें तीन लेह व 10 हिमाचल में हैं। नौ वन्य प्राणी विहार के 10 किलोमीटर के दायरे से रेललाइन गुजरेगी। रेल मंत्रालय चार अन्य वन्य प्राणी विहार को रेललाइन के दायरे से बाहर करने की कवायद में लगा है।
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रक्षा मंत्रालय उपलब्ध करवाएगा धन
बिलासपुर-मनाली-लेह रेललाइन के निर्माण के लिए रक्षा मंत्रालय धन उपलब्ध करवाएगा। रेललाइन के निर्माण व संचालन का जिम्मा रेल मंत्रालय के पास रहेगा। कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) की बैठक में धन उपलब्ध करवाने को लेकर अंतिम फैसला होगा।
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अब रेल मंत्रालय भेदेगा पीरपंजाल की पहाड़ियों का सीना
अटल टनल रोहतांग के बाद अब पीरपंजाल की पहाड़ियों का सीना फिर से भेदा जाएगा। रेललाइन के लिए रोहतांग में 13.5 किलोमीटर लंबी सुरंग बनेगी। यह सुरंग अटल टनल रोहतांग से करीब चार किलोमीटर लंबी होगी। पूरे रेललाइन पर 10 से अधिक सुरंगों का निर्माण होगा। इनमें रोहतांग में पीरपंजाल की पहाड़ियों में बनने वाली सुरंग सबसे लंबी होगी। अन्य सुरंगों की लंबाई 10 किलोमीटर से कम होगी।
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सालभर देश से जुड़ा रहेगा लेह लद्दाख
रेललाइन बनने से लेह लद्दाख पूरा साल देश से जुड़ा रहेगा। सर्दियों में बर्फ भी बाधा नहीं बनेगी। वर्तमान में लेह लद्दाख करीब छह माह देश से कटा रहता है।
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सरहद तक आसानी से पहुंचेगी रसद
रक्षा मंत्रालय को चीन व पाकिस्तान की सीमा तक रसद पहुंचाने के लिए जद्दोजहद नहीं करनी पड़ेगी। सरहद तक आसानी से रसद पहुंचेगी।
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बिलासपुर-मनाली-लेह रेललाइन का अधिकांश निर्माण वन भूमि पर होगा। हिमाचल में 25 व लेह में मात्र 10 फीसद निजी भूमि का अधिग्रहण होगा।
-हरपाल सिंह, मुख्य अभियंता उत्तर रेलवे।