Move to Jagran APP

हिमालय के जख्मों पर ‘वनवासी’ का मरहम, तीन साल में एकत्र किया साढ़े पांच लाख किलो कचरा

चरखी दादरी के रहने वाले प्रदीप सांगवान ने तीन साल में साढ़े पांच लाख किलो कचरा एकत्र कर हिमालय के जख्मों पर मरहम लगाया।

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 27 Aug 2019 01:06 PM (IST)Updated: Tue, 27 Aug 2019 01:06 PM (IST)
हिमालय के जख्मों पर ‘वनवासी’ का मरहम,  तीन साल में एकत्र किया साढ़े पांच लाख किलो कचरा
हिमालय के जख्मों पर ‘वनवासी’ का मरहम, तीन साल में एकत्र किया साढ़े पांच लाख किलो कचरा

मंडी, हंसराज सैनी। कुछ कर गुजरने का जज्बा और काम के प्रति जुनून हो तो कोई भी मुश्किल मंजिल पाने में बाधा नहीं बन सकती। हरियाणा के चरखी दादरी के रहने वाले प्रदीप सांगवान ने इस बात को साबित कर दिखाया है। गाड़ी बेचकर संगठन खड़ा किया, घर छोड़ा और हिमालय को आशियाना बना लिया। तीन साल में साढ़े पांच लाख किलो कचरा एकत्र कर हिमालय के जख्मों पर मरहम लगाया।

loksabha election banner

अब इस कचरे का ईंधन के रूप में इस्तेमाल होगा। इवेंट मैनेजमेंट में स्नातकोत्तर प्रदीप की प्रारंभिक शिक्षा मिलिट्री स्कूल चायल (सोलन) से हुई है। 2008 में फिर दोस्तों के साथ हिमाचल घूमने आए। कुल्लू-़ मनाली व लाहुल-स्पीति की ऊंची चोटियां व वादियों की खूबसूरती पर फिदा हो गए लेकिन कचरा देख मन आहत हुआ। ठान लिया कि हिमालय के जख्म भरेंगे। 

5000 लोगों को जोड़ा 

सोशल मीडिया पर 50,000 लोगों व धरातल पर 5000 सदस्यों का संगठन खड़ा हो गया। हिमालय की गोद में बिखरे कचरे को एकत्र कर कुल्लू जिले के बरशैणी तक पहुंचाना शुरू किया। तीन साल में साढ़े पांच लाख किलो से अधिक कचरा एकत्र कर डाला।

अब शिमला की बारी 

हीलिंग हिमालय संगठन ने प्रदेश की राजधानी शिमला के लालपानी व लिफ्ट के पास मौजूद नाले की सफाई का बीड़ा उठाया है। इस मुहिम पर काम करना आसान नहीं था। न पैसा था और न अभियान को आगे बढ़ाने के लिए सदस्य। चरखी दादरी से मिशन चलाना पहाड़ जैसा था। पहले घर छोड़ा, फिर पैसे की कमी दूर करने के लिए गाड़ी बेची। संगठन शुरू किया और लोग जुड़ते गए। तीन साल में हिमालय की गोद से साढ़े पांच लाख किलो कचरा एकत्र करने में कामयाब रहे। मनाली नगर परिषद के सहयोग से इसे ईंधन के रूप में प्रयोग करने की योजना है।

-प्रदीप सांगवान संस्थापक हीलिंग हिमालय फाउंडेशन

 

ट्र्रैकिंग विद पर्पज अभियान

2015 में ट्र्रैकिंग विद पर्पज अभियान शुरू किया। कुछ दोस्तों के साथ मिलकर खीर गंगा, रोहतांग, पराशर झील, श्रीखंड महादेव रूट्स पर प्लास्टिक की बोतलें, खाद्य पदार्थों के रैपर, प्लास्टिक की थैलियां व अन्य कचरा एकत्र किया। पैसे की तंगी व जागरूकता के अभाव में मिशन पूरा करना आसान नहीं था। 

बेच दी इकलौती गाड़ी

प्रदीप के पास बोलेरो गाड़ी थी, जिसका पंजीकरण नंबर वही था, जो स्कूल में रोल नंबर था। आर्थिक तंगी

से पार पाने के लिए प्रदीप ने 2016 में गाड़ी बेच हीलिंग हिमालय फाउंडेशन संगठन बनाया। सोशल मीडिया

को जागरूकता का हथियार बनाया और देखते ही देखते लोग मिशन से जुड़ने लगे।  

 ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले रहे सावधान, सीआइडी ने जारी की एडवायजरी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.