ऑक्सीजन की खपत कम, उत्पादन ज्यादा
जागरण संवाददाता मंडी प्रदेश के स्वास्थ्य संस्थानों में कोरोना काल में भी ऑक्सीजन की खपत नह
जागरण संवाददाता, मंडी : प्रदेश के स्वास्थ्य संस्थानों में कोरोना काल में भी ऑक्सीजन की खपत नहीं बढ़ी है। खपत के मुकाबले उत्पादन अधिक हो रहा है। लॉकडाउन के दौरान आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर अधिकतर स्वास्थ्य संस्थानों में ओपीडी व सर्जरी बंद थी। इससे ऑक्सीजन की खपत न के बराबर रह गई थी। दो माह पहले स्वास्थ्य संस्थान दोबारा खुलने से ऑक्सीजन खपत पुराने ढर्रे पर आ गई है। नौ जिलों मंडी, शिमला, कुल्लू, कांगड़ा, चंबा, हमीरपुर, बिलासपुर व किन्नौर में रोज 350 ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत हो रही है। इन सभी जिलों के सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में मंडी की मांडव एयर इंडस्ट्री ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई करती है।
मांडव एयर के प्लांट में रोजाना 1000 सिलेंडर ऑक्सीजन उत्पादन यानी रिफिल करने की क्षमता है। यहां सात घन व डेढ़ घन मीटर क्षमता के सिलेंडर की रिफिलिग होती है। सात घन मीटर वाले सिलेंडर की क्षमता 47 वाटर लीटर व डेढ़ घन मीटर वाले सिलेंडर की क्षमता 10 वाटर लीटर होती है। डेढ़ घन मीटर वाले सिलेंडर की किन्नौर जिले में ज्यादा मांग रहती है। मंडी के अलावा ऊना, सोलन, बद्दी व नाहन में भी ऑक्सीजन गैस के प्लांट हैं।
क्षेत्रीय अस्पताल मंडी में रोजाना ऑक्सीजन के 10 सिलेंडर की मांग रहती है। लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल नेरचौक को सरकार ने कोविड अस्पताल का दर्जा दे रखा है। यहां मंडी, कुल्लू, लाहुल-स्पीति, हमीरपुर, बिलासपुर व ऊना के कोरोना संक्रमित गंभीर मरीजों को भेजा जा रहा है। मेडिकल कॉलेज में केंद्रीयकृत ऑक्सीजन सप्लाई व्यवस्था है। एक साथ करीब 25 सिलेंडर लगते हैं। कोरोना से पहले भी इतनी ही मांग थी। अब भी उतनी ही मांग है। यहां अब तक 200 से अधिक कोरोना संक्रमितों का उपचार हो चुका है। मात्र दस फीसद मरीजों को ऑक्सीजन की आवश्कता पड़ी है। कॉलेज प्रबंधन के पास ऑक्सीजन से भरे 200 सिलेंडर हैं। ऑक्सीजन सप्लाई का सालाना टेंडर होता है। कोरोना काल से पहले जिन दरों पर सिलेंडर की सप्लाई हो रही थी अब भी उन्हीं दर चल रही है।
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कोविड अस्पताल नेरचौक में ऑक्सीजन सिलेंडर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। खपत भी सामान्य बनी हुई है।
-डॉ. जीवानंद चौहान, वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक नेरचौक मेडिकल कॉलेज
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ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग सामान्य बनी हुई है। खपत के मुकाबले उत्पादन की क्षमता अधिक है।
-सुधांशु कपूर, एमडी मांडव एयर इंडस्ट्री मंडी।