अब सिर्फ वादों तक सीमित नेता
अपनी जुबान के पक्के होते थे। जो भी वादा करते थे उसे पूरा भी करते थे। नेताओं का मकसद जन सेवा होता था। यह कहना है कि टीहरा उपतहसील के झड़ियार गांव के 93 वर्षीय परमा राम का जिन्होंने हर चुनाव में मतदान किया। वह कभी मतदान करने से पीछे नहीं रहे। मतदान को अपना कर्तव्य समझकर
भुताशन शर्मा, सरकाघाट
पहले नेता अपनी जुबान के पक्के होते थे जो भी वादा करते थे उसे पूरा भी करते थे। नेताओं का मकसद जनसेवा होता था। यह कहना है कि टीहरा उपतहसील के झड़ियार गांव के 93 वर्षीय परमा राम का। मतदान को अपना कर्तव्य समझकर चुनाव में पहले वोट डालने के बाद ही इनकी दिनचर्या शुरू होती है।
परमाराम कहते हैं कि 21 वर्ष तक भारतीय सेना में सेवाएं दी। वह 50 साल से हर चुनाव में लगातार मतदान करते आ रहे हैं। स्वस्थ लोकतंत्र के लिए हर व्यक्ति को पोलिग बूथ पर जाकर मतदान करना चाहिए। मतदान एक ईमानदार और शिक्षित उम्मीदवार के पक्ष में करना चाहिए। परमाराम का कहना है कि जब वह सेना में थे तो उस समय सैनिकों को मतदान करने की सुविधा नहीं थी। हालांकि उन्हें मतदान करने का शौक था, लेकिन सुविधाओं के अभाव में वह मतदान से वंचित रह जाते थे। उन्होंने अपना पहला मतदान सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद किया था। उन्होंने बताया कि उस समय के नेता जो बोलते थे उस पर अडिग रहकर लोगों की सेवा करते थे, लेकिन वर्तमान समय में नेताओं में इस बात का अभाव है। अब केवल चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं और चुनाव के बाद नेता मुश्किल से ही नजर आते हैं। सभी वादे सिर्फ वादे तक ही सीमित रह जाते हैं। ऐसा हर चुनाव में देखने को मिलता है। कुछ वादे ही नेता अब पूरे कर पाते हैं। उनका कहना है कि इस समय देश को एक सु²ढ़ और ईमानदार सरकार की आवश्यकता है जो केवल हर मतदाता द्वारा सही नेता का चुनाव करके ही संभव हो सकता है। परमाराम उम्र के इस पड़ाव पर भी समाचार पत्र प्रतिदिन पढ़ते हैं और देश विदेश की बारे में पूरी जानकारी रखते हैं। उनके अनुसार हर मतदाता को अपने मताधिकार का प्रयोग करना चाहिए।
(दैनिक जागरण आपकी लंबी आयु की कामना करता है।)