चार साल में नहीं मिली सिर छुपाने के लिए छत
कोटरोपी में 12 अगस्त 2017 की डरावनी रात में पहाड़ 49 लोगों की जिदगी लील गया कई बेघर हो गए लेकिन चार साल बाद भी उन्हें छत नसीब नहीं हो पाई है।
सहयोगी, पद्धर : कोटरोपी में 12 अगस्त 2017 की डरावनी रात में पहाड़ 49 लोगों की जिदगी लील गया और कई लोग बेघर हो गए थे। हादसे के चार साल बाद भी केवल तंबुओं के सहारे ही यहां सुरक्षा व्यवस्था है और पुनर्वास की आस आज दिन तक लोगों की पूरी नहीं हुई है। लोग अन्य जगहों पर ही जिदगी व्यतीत कर रहे हैं। अब बरसात में यहां पर सड़क का काम शुरू किया गया है।
12 अगस्त की रात को कोटरोपी का पूरा पहाड़ ही खिसक गया था। इसमें दो बसें इसकी चपेट में आ गई थीं। साथ ही 13 परिवारों की 25 बीघा भूमि इसमें बह गई। हादसे के 72 घंटों के बाद शवों को निकाला गया था। उस समय मुख्यमंत्री ने सभी बेघर हुए लोगों को जमीन देने का ऐलान किया और इसके लिए बाकायदा घोघरधार में जमीन चयनित की गई और राजस्व विभाग ने कार्यवाही पूरी कर सरकार को भेज दी, लेकिन आज दिन तक सरकार इस पर अंतिम मोहर नहीं लगा पाई है। साल तो लगातार बदल रहे, लेकिन इस हादसे से प्रभावित हुए लोगो का हाल आज भी वैसा ही है।
प्रभावित तीन परिवार पद्धर में किराये के मकान में, एक परिवार पटवार सर्किल भवन उरला के एक कमरे में और एक वन विभाग के एक कमरे में जिदगी बिता रहा है। जबकि छह परिवार अपने पुराने घर कुल्लू लौट गए हैं। अब केवल बरसात के समय में तंबु लगाकर यहां पर पहरा बैठा दिया जाता है लेकिन यहां पर पुख्ता इंतजाम सरकार नहीं कर पाती है।
घटना से प्रभावित बडवाहन, खुंड, रोपा सदवाडी, पंदहाली और सास्ती गांव के लिए पक्की सड़क का निर्माण व बस सुविधा शुरू करने के लिए वीरभद्र सरकार ने किया था। सरकार बदलते ही हालात भी बदल गए। अब सड़क का काम शुरू हुआ जो बरसात में क्षतिग्रस्त हो गई है। कोटरोपी हादसे में प्रभावित लोगों के लिए जो जमीन देखी गई थी वह वन भूमि होने के कारण रद कर दी गई है। अब सरकार ने इनके लिए सरकारी भूमि देखने का आदेश दिया है। संबंधित पटवारियों को आदेश दे दिए गए हैं। लोगों को शीघ्र छत मिले इसके लिए मैं कार्य कर रहा हूं।
-संजीत सिंह, एसडीएम पद्धर।