मंडी शहर में प्राकृतिक जलस्रोतों की होगी मरम्मत
छोटी काशी के नाम से मशहूर मंडी शहर में अपने अस्तित्व को बचाने के लिए जंग लड़ रहे प्राकृतिक जलस्रोतों के दिन संवरेंगे।
संवाद सहयोगी, मंडी : छोटी काशी के नाम से मशहूर मंडी शहर में अपने अस्तित्व को बचाने के लिए जंग लड़ रहे प्राकृतिक जलस्रोतों के दिन संवरेंगे। नगर निगम का दर्जा मिलने के बाद शहर के प्राकृतिक जलस्रोतों की न केवल कायाकल्प होगी, बल्कि प्रमुख जलस्रोतों के पास लोगों के लिए सुविधाएं भी जुटाई जाएंगी। नगर निगम क्षेत्र के भगवाहन वार्ड के जैंचू नौण में वाटर कूलर लगाया जाएगा। नगर निगम के पार्षदों ने जलशक्ति विभाग के कर्मचारियों के साथ कार्य शुरू कर दिया है। प्राकृतिक जलस्रोतों का निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
मंडी शहर रियासत काल में पेयजल स्रोतों के लिए मशहूर रहा है लेकिन अब उचित रखरखाव न होने के कारण अधिकतर पेयजल स्रोत अस्तित्व खो चुके है। शहर में 50 से 100 मीटर के दायरे में प्राकृतिक जलस्रोत हैं। इनकी बनावट में राजशाही आज भी झलकती है। मंडी शहर में शिवा बावड़ी, डिबा बावड़ी, जैंचू नौण, पंडित की बावड़ी, पैहरों की बावड़ी और छाया बावड़ी सहित अन्य प्राकृतिक जलस्रोत मौजूद हैं। जैंचू नौण में वर्षाशालिका जर्जर हालत में है। नगर निगम ने वर्षाशालिका की मरम्मत करने का निर्णय लिया है। यहां टाइलें लगाई जाएंगी। शिवा बावड़ी की छत भी जर्जर है। नगर निगम व जलशक्ति विभाग के कर्मचारियों ने दोनों प्राकृतिक जलस्रोतों का निरीक्षण कर मरम्मत के लिए रिपोर्ट तैयार कर ली है।
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भगवाहन वार्ड में प्राकृतिक जलस्रोतों का उचित रखरखाव होगा। इनका निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार की जा रही है। अन्य सुविधाएं भी जुटाई जाएंगी।
-माधुरी कपूर, पार्षद भगवाहण वार्ड।