रोहतांग पर एनजीटी और सख्त, सरकार को फटकार
रोहतांग दर्रे को बचाने लिए कोई कारगर कदम न उठा जाने से नाराज नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) ने प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है। समय समय पर दिए गए निर्देशों को लागू न करने पर ट्रिब्यूनल ने चिता जताई है।
हंसराज सैनी, मंडी
रोहतांग दर्रे को बचाने लिए कोई कारगर कदम न उठाए जाने से नाराज नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है। समय-समय पर दिए निर्देशों को लागू न करने पर ट्रिब्यूनल ने चिता जताकर कहा कि प्रदेश सरकार इस मोर्चे पर पूरी तरह विफल रही है। परमिट ब्लैक में बिकने, ईको जोन का ड्राफ्ट न बनने, रोप-वे की स्थापना को लेकर अब तक कोई कारगर कदम न उठाए जाने पर सख्ती बरतने के साथ ट्रिब्यूनल ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को ईको जोन का ड्राफ्ट तैयार करने व वन्यप्राणी विभाग को एनओसी जारी करने के लिए एक माह की मोहलत दी है।
पार्किंग, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) व इलेक्ट्रिकल वाहनों के संचालन के लिए 31 जुलाई 2020 से पहले पुख्ता कदम उठाने के आदेश दिए हैं। ट्रिब्यूनल ने चेताया है कि अगर इस अवधि में कोई कदम नहीं उठाया गया तो संबंधित विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव व विभागाध्यक्षों के सर्विस रिकॉर्ड में ट्रिब्यूनल खुद प्रतिकूल प्रविष्टि करेगा। उपायुक्त कुल्लू व पुलिस अधीक्षक से परमिट की कालाबाजारी व वाहनों के संचालन को लेकर अगली तारीख से पहले रिपोर्ट मांगी गई है। एक हजार रुपये का परमिट आठ हजार से बीस हजार रुपये में बिकने पर जवाब मांगा गया है। मामले पर सुनवाई सात फरवरी 2020 को होगी। हर साल 19 से 20 मीटर कम हो रहा दर्रा
ट्रिब्यूनल ने 10 अक्टूबर को हुई सुनवाई के दौरान उपरोक्त आदेश जारी किए हैं। चेकपोस्ट पर परमिट की जांच के लिए सॉफ्टवेयर की निगरानी में एनआइसी के निदेशक की मदद लेने को कहा गया है। ट्रिब्यूनल के चेयरमैन आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली चार सदस्यीय पीठ ने मामले की सुनवाई की। सीजन के दौरान 4000 से 5000 वाहनों के मनाली व रोहतांग दर्रे के ट्रिप से दर्रे पर प्रदूषण की मात्रा लगातार बढ़ रही है। बर्फ काली पड़ रही है। दर्रे का आकार हर साल 19 से 20 मीटर कम हो रहा है। आसपास के ग्लेशियर लगातार खिसक रहे हैं। सालाना 11 लाख लोग रोहतांग दर्रे को देखने जाते हैं।
एसटीपी व पार्किंग निर्माण को लेकर भी मांगी रिपोर्ट
ट्रिब्यूनल ने प्रदेश सरकार को ईको जोन, पार्किंग, ठोस व तरल कूड़े कचरा प्रबंधन, एसटीपी, रोप-वे की उचित व्यवस्था करने के आदेश दिए थे। पांच अक्टूबर को ट्रिब्यूनल को सौंपी रिपोर्ट में अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया था कि रोप-वे व ईको जोन निर्माण में वन्यप्राणी विहार क्षेत्र बाधक बना हुआ है। एनओसी लंबित है। इससे मढ़ी व मनाली में एसटीपी, पार्किंग, मढ़ी में ईको फ्रैंडली मार्केट बनाने व गुलाबा में नेचर पार्क बनाने की योजना सिरे नहीं चढ़ी है। ट्रिब्यूनल ने एसटीपी व पार्किंग निर्माण को लेकर आइपीएच व लोक निर्माण विभाग से रिपोर्ट मांगी है।