पांच शहरी निकायों में भाजपा के दावों की सरकी हवा
हंसराज सैनी मंडी मंडी जिले के पांच शहरी निकायों में भाजपा के दावों की हवा सरक गई ह
हंसराज सैनी, मंडी
मंडी जिले के पांच शहरी निकायों में भाजपा के दावों की हवा सरक गई है। 10 जनवरी को नतीजे सामने आने के बाद भाजपा ने जिले के सभी छह निकायों में बहुमत का दावा जताया था। सोमवार को पांच निकायों में शपथ समारोह के बाद यह दावे खोखले साबित हुए।
नगर परिषद सुंदरनगर में 13 से 10 सीटों पर विजयी रही भाजपा ने अध्यक्ष व उपाध्यक्ष की ताजपोशी करने में देरी नहीं लगाई। चुनाव के दौरान ही भाजपा ने पुंघ वार्ड से उम्मीदवार जितेंद्र शर्मा को अध्यक्ष पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया था। उपाध्यक्ष को लेकर थोड़ा पेंच फंसा हुआ था। जीत का चौका लगाकर फिर परिषद में पहुंची वरिष्ठ पार्षद रक्षा धीमान को उपाध्यक्ष बना उसका समाधान कर लिया।
नगर परिषद नेरचौक में भाजपा ने बहुमत का दावा किया था। भाजपा यहां कांग्रेस व अन्यों के खेमे में सेंध लगाने में विफल रही। कांग्रेस समर्थित चार पार्षद तय समय पर शपथ ग्रहण करने पहुंच गए, भाजपा समर्थित शपथ लेने के लिए समय पर बैठक कक्ष में पहुंचने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। कांग्रेस व भाजपा की झोली में चार-चार पार्षद हैं। दोनों तरफ से सेंध लगाने में जो सफल रहेगा, अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का ताज उस दल के सिर सजेगा।
नगर पंचायत रिवालसर में भाजपा समर्थित एक मात्र पार्षद ने शपथ के बाद पार्टी से किनारा कर लिया। यहां अध्यक्ष व उपाध्यक्ष की कुर्सी की चाबी अन्यों के पास है। नगर परिषद सरकाघाट में भाजपा ने पांच समर्थकों की जीत का दावा किया था, लेकिन सोमवार को तीन पार्षद ही भाजपा खेमे में नजर आए, अंक गणित पक्ष में न होने पर भाजपा के तीनों पार्षद शपथ लेने के बाद बैठक कक्ष से बाहर चले गए। कांग्रेस समर्थित चार पार्षद तय समय तक बैठे रहे। यहां भी भाजपा के दावों की पोल खुल गई है।
नगर परिषद जोगेंद्रनगर में विधायक प्रकाश राणा ने कांग्रेस समर्थित व अन्य पार्षदों को अपने पाले में कर हारी हुई बाजी जीतने की कोशिश की, लेकिन कांग्रेस व अन्यों की एकजुटता ने प्रकाश राणा के अरमानों पर पानी फेर दिया। मजबूरन भाजपा समर्थित दो पार्षदों को वाकआउट करना पड़ा। नगर पंचायत करसोग में सीमा गुप्ता बाजीगर बनीं, एक ही झटके में भाजपा का बना बनाया खेल बिगाड़ दिया। शपथ ग्रहण से ठीक एक दिन पहले सीमा गुप्ता ने पार्टी पद से इस्तीफा देकर अन्यों का समर्थन जुटा भाजपा को ठेंगा दिखा दिया। खुद अध्यक्ष बन गई, उपाध्यक्ष की कुर्सी बंसी लाल के हाथ लगी। अब ऊंट किस करवट बैठता है, इसका फैसला 20 जनवरी को होगा। अगर कांग्रेसी व अन्य एकजुटता बरकरार रखने में सफल रहे तो भाजपा के लिए यह बहुत बड़ा झटका होगा।