बंदरों ने पेड़ पर पतंग की डोर में फंसे कौवे को छुड़ाया
बंदरों को आमतौर पर लोग उत्पादी ही मनाते हैं। इस मिथ्या को बंदरों ने गलत साबित कर दिया। शहर के रामनगर में मंगलवार सुबह पेड़ पर पतंग की डोर में फंसे एक कौए को छुड़ाकर बंदरों ने सिद्ध कर दिया कि अक्लमंद होने के साथ उनमें दूसरों का दर्द समझने की क्षमता भी है। इस नजारे को देख क्षेत्र के लोग भी दंग रह गए। घोर कुलियुग में मानव के लिए यह एक बड़ा सबक है। जो किसी मुसी
जागरण संवाददाता, मंडी : बंदरों को आमतौर पर लोग उत्पाती ही मनाते हैं। इस मिथ्या को बंदरों ने गलत साबित कर दिया। शहर के रामनगर में मंगलवार सुबह पेड़ पर पतंग की डोर में फंसे एक कौवे को छुड़ाकर बंदरों ने दिखा दिया कि अकलमंद होने के साथ उनमें दूसरों का दर्द समझने की क्षमता भी है। इस नजारे को देखकर क्षेत्र के लोग भी दंग रह गए।
घोर कलियुग में मानव के लिए यह एक बड़ा सबक है। जो किसी मुसीबत में फंसे व्यक्ति की जान बचाना तो दूर अपने स्वार्थ के लिए उसे तड़पता, मरते हुए भी देख सकता है। अपर रामनगर में एक कौआ पेड़ पर लिपटी पतंग की डोर में फंस गया। रिवालसर कॉलेज में प्रो. कन्हैया लाल सैनी की नजर इस पर पड़ी तो वह नजारा देख कर हैरान रह गए। जिस पेड़ पर कौआ फंस कर जान बचाने के लिए तड़प रहा था, उसी पर तीन-चार बंदर भी थे। बंदरों ने जब देखा कि कौआ जान बचाने के लिए तड़प रहा है। पतली टहनियों पर छोटे बंदर बार-बार प्रयास करके कौए तक पहुंचे। उन्होंने धागे को खींच कर तोड़ डाला। हालांकि कौआ बंदर को नजदीक आते देख बुरी तरह सहम गया था। उसके साथी भी लगातार पेड़ पर मंडरा रहे थे, लेकिन बंदरों ने कई बार के प्रयासों के बाद धागे को तोड़ कर ही दम लिया। धागा टूटते ही घायल हुआ कौआ धड़ाम से नीचे गिर गया। लोगों ने पानी पिलाने व जख्म पर दवाई लगाने के बाद कौए को उड़ा दिया।