छोटी बहन के रुष्ट होने पर देना था पड़ा बड़ा होने का दर्जा
जागरण संवाददाता, मंडी : अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में आने वाले देवी-देवताओं को लेकर
जागरण संवाददाता, मंडी : अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में आने वाले देवी-देवताओं को लेकर कई रोचक ¨कवदंतियां प्रचलित हैं। ये देवी-देवता मानवीय रिश्तों की डोर में बंधे हुए हैं। यहां आने वाले देवी देवताओं में कोई किसी का पितामह, पिता, भाई है तो कोई आपस में बहनें हैं। सनोर-बदार क्षेत्र के देवी-देवताओं का राजदरबार में दखल रहा है, क्योंकि मंडी रियासत की शुरुआत बदार क्षेत्र के शिवाकोट से हुई थी। इस क्षेत्र के प्रमुख देवता पराशर ऋषि राज परिवार के कुल देवता हैं, जो गत वर्ष 22 साल बाद शिवरात्रि में पधारे थे। महोत्सव के दौरान देव पराशर की सात पोतियां आपस में मिलती हैं। इनमें छह बहनें बूढ़ी विचारण, कांडी घटासनी, सोना ¨सहासन, देवी निसू पड़ासरी, देवी धारा नागन और मैहणी एक साथ पड्डल मैदान में बैठती हैं, जबकि एक बहन बगलामुखी पड्डल मैदान में नहीं आती है। जनश्रुतियों के अनुसार माता मैहणी इन सात बहनों में सबसे छोटी है, लेकिन बहनों ने इसे बड़ा दर्जा दे रखा है। कथा के अनुसार सात बहनें एक बार जंगल में गई थी। जंगल में एक तिल का दाना मिलने पर छह बहनों ने उसे खा लिया और छोटी बहन को नहीं दिया। जब छोटी बहन को पता चला तो उसने तिल के दाने समेत बहनों की शक्तियां भी छीन ली थी। इसके बाद अन्य बहनों ने छोटी बहन को मनाया और सबसे बड़ा दर्जा दे दिया। मंडी जनपद में यह कहावत आज भी प्रचल्लित है। जब मां अपने बच्चों को कोई चीज आपस में बांटने के लिए कहती है तो इन सात देवियों का उदाहरण दिया जाता है कि सात बहनों ने एक तिल का दाना आपस में बांटकर खाया था। सनोर-बदार क्षेत्र में जहां पर भी इन देवियों का स्थान है। वहां पर पराशर झील का पानी निकलता है। इससे इन स्थानों का महत्व भी पराशर झील से कम नहीं है। यह भी कहा जाता है कि इन सातों देवियों के निवास स्थान पर पराशर ऋषि की झील से जो पानी निकलता है। वह इनके दादा पराशर ऋषि ने सबको वरदान स्वरूप प्रदान किया है।