स्वदेशी चिप दिखाएगी सेटेलाइट को दिशा व मिसाइल को लक्ष्य, जानें इसकी खासियत
Indigenous chip. अगर स्वदेशी चिप मानकों पर खरी उतरती है तो सेटेलाइट को दिशा व मिसाइल को लक्ष्य दिखाएगी। इससे देश के सेटेलाइट व मिसाइल कार्यक्रम में तेजी आएगी।
मंडी, हंसराज सैनी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी में मेक इन इंडिया के तहत बन रही एप्लीकेशन स्पेशल इंटीग्रेटिड सर्किट (एएसआइसी) चिप का डिजाइन तैयार करने का कार्य अंतिम चरण में पहुंच गया है। जल्द चिप की फेब्रिकेशन व टेस्टिंग होगी। अगर चिप मानकों पर खरी उतरती है तो विदेशी कंपनियों से निर्भरता पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। फिर भविष्य में स्वदेशी चिप सेटेलाइट को दिशा व मिसाइल को लक्ष्य दिखाएगी। इससे देश के सेटेलाइट व मिसाइल कार्यक्रम में तेजी आएगी।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पिछले वर्ष आइआइटी मंडी को चिप बनाने के लिए करीब 45 लाख रुपये का प्रोजेक्ट सौंपा था। स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के विशेषज्ञ आधुनिक तकनीक पर आधारित स्वदेशी चिप बनाने पर काम कर रहे हैं। किसी भी चिप को तैयार करने में डिजाइन बनाना सबसे कड़ी चुनौती होता है। विशेषज्ञों ने इस चुनौती को पार कर लिया है। एएसआइसी चिप का प्रयोग जाइरोस्कोप में होता है। जाइरोस्कोप सेटेलाइट व मिसाइल को दिशा दिखाने व उसे लक्ष्य तक पहुंचाने का काम करता है। इस चिप के लिए इसरो अब तक विदेशी कंपनियों पर निर्भर है।
अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस व जापान की कई कंपनियां पैसा लेने के बाद भी चिप की सप्लाई देने में अड़चनें डालती हैं। कई बार चिप के बजाय सेटेलाइट का पूरा हिस्सा खरीदने के लिए दबाव बनाया जाता है। इससे सेटेलाइट व मिसाइल कार्यक्रम तेजी से आगे नहीं बढ़ पाता है। इससे पहले आइआइटी मंडी के विशेषज्ञों ने करीब दो साल पहले अमेरिका की इंटेल कंपनी के लिए 20 नैनो मीटर की चिप बनाई थी।
जानें, क्या है जाइरोस्कोप
यह एक दूरदर्शी यंत्र है, जो वस्तु की कोणीय स्थिति यानी झुकाव को मापने के काम आता है। एएसआइसी चिप सिस्टम को ऑन करने और उसे दिशा दिखाने का काम करती है।
चिप का डिजाइन तैयार करने का कार्य अंतिम चरण में
एएसआइसी चिप का डिजाइन तैयार करने का कार्य अंतिम चरण में है। चिप जल्द फेब्रिकेशन के लिए भेजी जाएगी। उसके बाद इसकी टेस्टिंग होगी।
-डॉ. सतिंद्र कुमार शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर आइआइटी मंडी।