यहां क्यों जंजीर से बंधे रहते हैं ये देवता, अपने आप ही चलने लगता है रथ
देवता धूमल नाग को उनके उग्र स्वभाव के कारण जंजीर से बांधकर रखा जाता है रथयात्रा के समय ये रथ के आगे चलते हैं औ बाधाओं को हटाते हैं।
पतलीकूहल, अभिषेक शर्मा। जिला में हर देवता का अपना अलग ही इतिहास है। भगवान रघुनाथ के रथ के आगे चलने वाले देवता धूमल नाग एक ऐसे देव हैं जिनको उनकी उग्र स्वभाव के कारण जंजीर से बांधकर रखा जाता है। कहा जाता है कि देवता धूमल नाग का रथ अपने आप चलने लग जाता है। यही कारण है कि देवता के रथ को संगल से बांधकर रखा जाता है। अब देवता का स्थान बन गया है, लेकिन अब भी कई बार देवता का रथ अपने आप चलता है। देवता धूमल नाग भगवान रघुनाथ की रथयात्रा के दौरान सबसे आगे चलते हैं और रास्ते में आने वाली बाधाओं को हटाते हैं।
देवता का स्वभाव उग्र होने के कारण देवता का रथ उठाकर लेकर चलने वाले को भी इसे नियंत्रित करने में खासी मशक्कत करनी पड़ती है। देवता के कारदार और पुजारी ने बताया कि जब दशहरे के दौरान काफी भीड़ होती है और जब पुलिस के जवान भी लोगों की भीड़ को हटाने में असमर्थ रहते हैं तो यह देवता अपनी पूरी शक्ति के साथ भीड़ को हटाकर भगवान रघुनाथ व स्वयं के लिए रास्ता बनाते हैं। पुजारी राम सिंह ने बताया कि जब कोई व्यक्ति मंदिर के आसपास गंदगी फैलाता है तो यह देव रथ अपने आप ही अपने स्थान से चलने लगता है, इस कारण इस देव रथ को बांध कर भी रखा जाता था। अब जब से देवता के लिए नए आसन की व्यवस्था की गई है, तबसे उन्होंने देवता के रथ को बांधना छोड़ दिया है। हालांकि अभी भी कई बार देवता का रथ अपने स्थान से स्वयं चलने लगता है।
देवता के गूर गुप्त राम ने बताया कि काफी समय से वह भी यह देखते आए हैं कि जहां पर काफी भीड़ होती है वहां पर जाकर यह देवता उस भीड़ को हटाते हैं। देवता के रथ में इतनी शक्ति है कि अगर देवता की इच्छा के बगैर कोई धार्मिक कार्य किया जाता है तो देवता का रथ स्वयं जमीन पर चलने लगता है।
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