संरक्षित वन्य प्राणियों, जड़ी-बूटियों का तैयार होगा डाटा
मुकेश मेहरा मंडी कुल्लू जिले के सैंज में ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में 37 साल में क्या बदलाव
मुकेश मेहरा, मंडी
कुल्लू जिले के सैंज में ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में 37 साल में क्या बदलाव आए। वन्य प्राणियों की कितनी प्रजातियां संरक्षित की और कितनी जड़ी-बूटियों को लुप्त होने से बचाया इसका सारा डाटा तैयार होगा।
राष्ट्रीय वन्य प्रणाली संस्थान देहरादून ग्रेट हिमालयन नेशनल की यूनिवर्सिल वैल्यू यानी सार्वभौमिक मूल्यों पर शोध कर रहा है। तीन साल तक चलने वाले इस प्रोजेक्ट में यहां संरक्षित हर जीव जंतु, पेड़ पौधे, जड़ी-बूटियों का डाटा एकत्रित किया जाएगा। 1984 में अस्तित्व में आए ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में 493 प्रकार की जड़ी बूटियां, 193 प्रकार के पक्षी, 61 प्रकार के पेड़, 96 प्रकार की झाड़ियां और 28 प्रकार बेल रूपी वन संपदा सहित, स्नो लैपर्ड, सीरो और अन्य वन्य प्राणी पाए जाते हैं। राष्ट्रीय वन्य प्राणी संस्थान देहरादून की टीम इनकी जानकारी एकत्रित करेगी। टीम यहां का एक दौरा कर चुकी है। अपने शोध में यह किस तरह से यहां तैयार हुई और इसकी भविष्य में संरक्षण की कितनी जरूरत है। इसी तरह वन्य प्राणियों व जीव जंतुओं के व्यवहार के बारे में भी जानकारी एकत्रित होगी।
शोध रिपोर्ट पूरी होने के बाद देहरादून में इसका आकलन किया जाएगा। इससे इस पार्क की यूनिवर्सिल वैल्यू भी तय होगी कि किस तरह से संरक्षण में यह अपनी भूमिका अदा कर रहा है। इसी आधार पर यहां की जैवविविधता को और किस तरह से बल मिलेगा इस पर योजना बनेगी। हालांकि प्रोजेक्ट तीन साल का है लेकिन कोरोना के चलते इसकी अवधि को अब बढ़ाया जाएगा।
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चिह्नित पौधों, जीव जंतुओं पर होगा काम
राष्ट्रीय वन्य प्राणी संस्थान देहरादून की टीम शोध के बाद यहां पाए जाने वाले दुर्लभ जीव जंतुओं, पेड़ पौधों आदि को चिह्नित करेगी। फिर यह पता लगाया जाएगा कि किस तरह से और सहेजा जा सकता है। इस पर कार्य योजना बनेगी।
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ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में अब तक संरक्षित हुए वन्य प्राणियों, पेड़-पौधों आदि पर राष्ट्रीय वन्य प्राणी संस्थान देहरादून की टीम शोध कर रही है। इससे पार्क की यूनिवर्सिल वैल्यू का पता चलेगा और भविष्य की योजना बनाने में यह शोध मददगार होगा।
-अजीत ठाकुर, अरण्यपाल ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क।