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लापरवाही खा गई गोल्डन महाशीर मछली

मुकेश मेहरा मंडी ब्यास नदी में पाई जाने वाली गोल्डन महाशीर मछली को लापरवाही खा गई। ज

By JagranEdited By: Published: Mon, 07 Dec 2020 03:46 PM (IST)Updated: Mon, 07 Dec 2020 03:46 PM (IST)
लापरवाही खा गई गोल्डन महाशीर मछली
लापरवाही खा गई गोल्डन महाशीर मछली

मुकेश मेहरा, मंडी

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ब्यास नदी में पाई जाने वाली गोल्डन महाशीर मछली को लापरवाही खा गई। जैव विविधता बोर्ड ने इसे लुप्त हो रही 38 प्रजातियों में शामिल किया है। प्रोजेक्टों में इसके लिए फिश लैडर व फिश स्क्रीन ही नहीं बने। जहां बने वहां पर्याप्त पानी नहीं छोड़ा गया और प्राकृतिक रूप से प्रजनन बंद हो गया।

गोल्डन महाशीर मछली बहते पानी में प्रजनन करती है। प्रजनन के समय यह कुल्लू तक चली जाती थी। वहां अंडे देती थी जो बहकर नीचे आ जाते थे। इस प्रक्रिया में अब ब्यास नदी पर बने लारजी व पंडोह विद्युत प्रोजेक्ट रोड़ा बन रहे हैं। हालांकि लारजी में फिश लैडर हैं, लेकिन वहां पानी नहीं छोड़ा गया। इसी वजह से गोल्डन महाशीर मछली संकट में है। मत्स्य विभाग भी पत्राचार तक ही सीमित रहा। प्रोजेक्टों को पानी नहीं छोड़ने के बारे में अवगत करवाया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की। इस कारण गोल्डन महाशीर का प्राकृतिक रूप से प्रजनन बंद हो गया। जैव विविधता बोर्ड के सर्वेक्षण में गोल्डन महाशीर मछली को लुप्त हो रही प्रजाति में शामिल किया गया है।

पर्यावरण प्रेमी नरेंद्र सैनी बताते हैं कि गोल्डन महाशीर मछली 25 से 30 किलोमीटर के दायरे में पाई जाती थी। प्रोजेक्ट समय रहते इसके लिए फिश लैडर और स्क्रीन बनाते तो इनको संरक्षित किया जा सकता था।

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एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे विभाग

मत्सय विभाग के अधिकारियों की मानें तो प्रोजेक्टों को बार-बार पत्राचार करके अवगत करवाया गया तथा सरकार को भी इस बारे में बताया गया। इसकी मॉनीटरिग का जिम्मा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास है। वहीं, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मानें तो समय-समय पर निरीक्षण किया जाता था।

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क्या है फिश लैडर और स्क्रीन

फिश लैडर प्रोजेक्टों में बनाई जाने वाली एक नाली है। इसके माध्यम से मछलियां आ जा सकती हैं और पसंदीदा स्थान पर प्रजनन करती हैं। इसी तरह फिश स्क्रीन एक शीशा होता है, जब मछली यहां फंस जाती है तो उसे नुकसान नहीं पहुंचता और वह आसानी से बाहर आ जाती है।

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जोगेंद्रनगर में मच्छयाल में करवा रहे प्रजनन

मत्स्य विभाग जोगेंद्रनगर स्थित मच्छयाल में महाशीर मछली का प्रजनन करवा रहा है। यहां पिछले साल 92000 मछलियों के बच्चे पैदा हुए। इतनी अधिक मात्रा में पहली बार मछली यहां तैयार हुई हैं।

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महाशीर मछली प्राकृतिक रूप से प्रजनन नहीं कर रही। प्रोजेक्टों के बनने का इस पर असर हुआ है। हमने कई बार यह मामला उठाया है, लेकिन इसकी निगरानी हमारे अधीन न होने के कारण दिक्कत है। जोगेंद्रनगर में इसका प्रजनन करवा रहे हैं।

-सतपाल मेहता, निदेशक मत्स्य विभाग।

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प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड प्रोजेक्टों द्वारा समय-समय पर कितना पानी छोड़ा जाता है इस पर निगरानी रखता है। हमारे पास ऐसी शिकायत नहीं आई, कि मछली के लिए पानी कम हो रहा है।

-अतुल परमार, क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।


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