नौ माह की बच्ची छोड़ सेवाएं दे रहे डॉ. विपुल
संवाद सहयोगी सरकाघाट कुछ लोग सेवा के लिए परिवार को भी छोड़ देते हैं। ऐसी ही मिसाल
संवाद सहयोगी, सरकाघाट : कुछ लोग सेवा के लिए परिवार को भी छोड़ देते हैं। ऐसी ही मिसाल पेश की है बलद्वाड़ा खंड में सेवाएं दे रहे डॉ. विपुल भारद्वाज ने। डॉ. विपुल भारद्वाज ने कोरोना काल में कोई छुट्टी ही नहीं ली है। इनकी पत्नी भी लडभड़ोल में बतौर चिकित्सक सेवाएं दे रही है। डॉ. विपुल नौ महीने का बच्चा उसकी बीमार दादी के हवाले छोड़ देश के लिए महत्वपूर्ण सेवाएं दे रहे हैं।
कोरोना काल शुरू होने पर डॉ. विपुल पहले सरकार के एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान में आशा कर्मी के साथ घर-घर जाकर बाहर से आए लोगों की जांच में व्यस्त रहे। सरकारी आंकड़े पोर्टल पर चढ़ाए। इसके बाद क्लस्टर कंटेनमेंट क्षेत्र में फील्ड सर्विलांस में सेवाएं दी। इसके साथ-साथ दूसरे राज्यों के रेड जोन से आए लोगों की विभिन्न बैरियर व क्वारंटाइन केंद्रों में जांच की।
इसके पश्चात ढाई महीने से बिना छुट्टी काटे सरकाघाट के बस अड्डे पर एचआरटीसी के स्टाफ व लोगों की जाच व निगरानी की। अब डीसीसीसी सदयाना, मंडी में सात दिन तक कोरोना के मरीजों का इलाज व निगरानी करेंगे। उसके पश्चात 14 दिन तक घर से दूर क्वारंटाइन रहेंगे।
डॉ. विपुल के पिता का देहांत कुछ समय पहले अचानक दिल का दौरा पड़ने से हुआ था। उनकी मां का कुछ साल पहले रीढ़ का पीजीआइ चंडीगढ़ में ऑपरेशन हुआ था और साथ ही वह शुगर और ब्लड प्रेशर की मरीज भी हैं।