शिवरात्रि के लिए कल रवाना होंगे बड़ा देव
मृगेंद्र पाल गोहर जनपद के आराध्य देव कमरुनाग यानी बड़ा देव वीरवार को अपने मूल स्थान से अंतर
मृगेंद्र पाल, गोहर
जनपद के आराध्य देव कमरुनाग यानी बड़ा देव वीरवार को अपने मूल स्थान से अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव मंडी में शामिल होने के लिए रवाना होंगे। देवता दोपहर बाद चार बजे अपनी कोठी से कारिदों, प्रशासन के अधिकारियों व पुलिसकर्मियों की सुरक्षा में निकलेंगे। उनका पहला प्रवास ज्यूणी घाटी के भलोठी गांव में वीरवार को को होगा। शुक्रवार को देवता अपने बजंतरियों व देवलुओं के साथ सेरी में रुकेंगे। शनिवार को चैलचौक में उनका भव्य स्वागत किया जाएगा।
देवता के गूर ठाकर दास ने बताया कि जिला प्रशासन की ओर से निमंत्रण मिलने के बाद देवता अपने लाव-लश्कर के साथ निकल जाएंगे। चैलचौक में उपायुक्त मंडी ऋग्वेद ठाकुर देव कमरुनाग की पूजा कर उन्हें फिर न्योता देंगे। देवता चैलचौक से बटेहड़ा के लिए प्रस्थान करेंगे। बग्गी, नलसर होते हुए नौ मार्च को गुटकर में रात्रि ठहराव करने के बाद 10 मार्च को टारना मंदिर पहुंचेंगे और 11 मार्च को अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव का शुभारंभ करेंगे। जिला प्रशासन के स्वागत के उपरांत शिवरात्रि के समापन तक मंडी में ही रहेंगे। बड़ा देव कमरुनाग की बारिश के देवता के रूप में पूजा जाता है।
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मन्नत पूरी होने पर झील में लोग चढ़ाते हैं सोना व चांदी
देव कमरुनाग के प्रति लाखों लोगों की आस्था जुड़ी है। मन्नत पूरी होने के बाद लोग आज भी देवता के मंदिर के पास प्राकृतिक झील में सोना व चांदी के आभूषणों समेत नकदी चढ़ाते हैं। देवता के मंदिर के साथ सटी झील में आज भी अकूत दौलत का खजाना छिपा हुआ है। सूखा पड़ने पर लोग मंदिर में बारिश के लिए गुहार लगाते हैं। देवता के मंदिर में सरानाहुली मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें हजारों लोग प्रदेश भर से पहुंचते हैं।
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इंद्र देवता से चुरा लाते हैं बादल
देव कमरुनाग को बारिश का देवता भी माना गया है। दंत कथाओं के अनुसार देव कमरुनाग की स्थापना के बाद इंद्र देवता रुष्ठ हो गए और उन्होंने इस इलाके में बारिश करना बंद कर दिया। ऐसे में देव कमरुनाग इंद्र देवता के पास गए और बादलों को ही चुरा लाए। इसी कारण इन्हें बारिश देने का देवता भी कहा गया। यदि कभी सूखा पड़ जाए तो इलाके के लोग इनके दरबार में जाकर बारिश की गुहार लगाते हैं और देव कमरुनाग बारिश की बौछारें कर देते हैं। कमरुनाग का मान-सम्मान और रुतबा इतना है कि जब वह मंडी आते हैं तो जिले के सबसे बड़े अधिकारी यानी जिलाधीश इनका स्वागत करने के लिए खड़े होते हैं। देव कमरुनाग के प्रति न सिर्फ मंडी जिला या प्रदेश बल्कि उत्तरी भारत के लोगों की अटूट आस्था है। जून में इनके मूल स्थान पर मेला होता है जिसमें लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं।