पानी रोकने का निर्णय सही, जलसंधि पर हो सकता है पुर्नविचार : जयराम
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि पाकिस्तान को अब उसी की भाषा में जवाब दिया जाएगा। देश के हिस्से का पानी रोकने का फैसला स्वागत योग्य है। पाकिस्तान अगर अपनी हरकतों से बाज नहीं आया तो केंद्र सरकार ¨सधु जल संधि पर पुर्नविचार कर सकती है। पाकिस्तान की कायराना हरकत का केंद्र सरकार अपने स्तर पर करारा जवाब दे रही है। देश की जनता पूरी तरह केंद्र सरकार के साथ खड़ी हुई है। उन्
जागरण संवाददाता, मंडी : मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा पाकिस्तान को अब उसी की भाषा में जवाब दिया जाएगा। देश के हिस्से का पानी रोकने का फैसला स्वागत योग्य है। पाकिस्तान अगर अपनी हरकतों से बाज नहीं आया तो केंद्र सरकार ¨सधु जल संधि पर पुर्नविचार कर सकती है।
उन्होंने शुक्रवार को मंडी के पड्डल में रोजगार मेले व द्रंग हलके में करोड़ों रुपये के विकास कार्यो का शिलान्यास व उद्घाटन किया। उन्होंने कहा द्रंग की नमक खादानों की खोदाई का मामला केंद्र सरकार से उठाया जाएगा। मंडी के शिवरात्रि महोत्सव को अधिकारिक रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर का दर्जा प्राप्त नहीं था। सरकार ने अधिसूचना जारी कर अब इस महोत्सव को अंतरराष्ट्रीय स्तर का दर्जा प्रदान कर दिया है। पूर्व की कांग्रेस सरकार बदले की भावना से काम करती रही। उनकी सरकार ने कामकाज के तौर तरीकों में बदलाव किया है। इस मौके पर आइपीएच मंत्री महेंद्र ¨सह ठाकुर व शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज भी मौजूद रहे।
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मंडी का नाम बदलने का मैं भी पक्षधर पर फैसला जनमत के बाद ही : जयराम मंडी : शिमला के बाद अब प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी मंडी का नाम बदलने की चर्चा जोर पकड़ने लगी है। सरकार के पास हजारों लोगों ने सुझाव दिए हैं कि मंडी का नाम बदलकर मांडव्य ऋषि जिला रखा जाए। खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस बात का जिक्र शुक्रवार को द्रंग हलके के नारला में आयोजित एक जनसभा में किया। उनका कहना था कि नाम बदलने के पीछे लोगों ने तर्क दिया है कि प्रदेश से बाहर जब वह यह बताते हैं कि वह मंडी के रहने वाले हैं तो उन्हें मार्केट में रहने वाला समझा जाता है। वह खुद ही नाम बदलने के पक्षधर हैं। लेकिन अंतिम फैसला सरकार तभी लेगी, अगर जिला की जनता इस बात पर एकमत होगी। मंडी मांडव्य ऋषि की तपोस्थली रही। कहा जाता है महान संत मांडव्य ने यहां तपस्या की और उनके पास अलौकिक शक्तियां थी। साथ ही उन्हें अनेक ग्रंथों का ज्ञान था। मांडव्य ऋषि पड्डल में कोल्सरा नामक पत्थर पर बैठकर ब्यास नदी के पश्चिमी तट पर तपस्या किया करते थे। शहर पत्थरों से बने 81 मंदिरों और उनमें की गई शानदार नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है। मंदिरों की बहुलता के कारण ही इसे पहाड़ों का वाराणसी नाम से भी जाना जाता है। मंडी नाम संस्कृत शब्द मंडोइका से बना है। इसका अर्थ होता है खुला क्षेत्र। रियासत के समय से ही शहर का नाम मंडी चल आ रहा है। मंडी का नाम बदलने को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों की तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।