सरकाघाट में आवासीय भवन गिरने की कगार पर
आवास गिरने की कगार पर है। 1954 में भवन का निर्माण वास्तुकला को ध्यान में रखकर तराशे हुए पत्थर और धर्मशाला के भागसुनाथ की स्लेट की ़खानों से निकाले हुए स्लेटों से इस भवन का निर्माण किया गया था। दरवाजों और खिड़कियों में देवदार की लकड़ी का प्रयोग किया गया है।भवन के प्रत्येक कक्ष के बाहर एक बड़ा दरवाजा बनाया गया है। तीन कमरे प्रत्येक अधिकारी के के लिए निर्मित किए गए हैं। आंगन के एक कोने में चिमनी वाला खिड़कियों सहि
संवाद सहयोगी, सरकाघाट : सरकाघाट में दशकों पूर्व निर्मित कर्मचारी आवास गिरने की कगार पर है। 1954 में भवन का निर्माण वास्तुकला को ध्यान में रखकर तराशे हुए पत्थर और धर्मशाला के भागसूनाथ की खदानों से निकाले हुए स्लेटों से इस भवन का निर्माण किया गया था। दरवाजों और खिड़कियों में देवदार की लकड़ी का प्रयोग किया गया है। भवन के प्रत्येक कक्ष के बाहर एक बड़ा दरवाजा बनाया गया है। तीन कमरे प्रत्येक अधिकारी के लिए निर्मित किए गए हैं। आंगन के एक कोने में चिमनी वाला खिड़कियों सहित रसोईघर भी बनाया गया है। भवन निर्माण के बाद इसके रखरखाव का जिम्मा लोक निर्माण विभाग के पास था और समय-समय पर इस भवन में रंगरोगन और मरम्मत का कार्य होता रहा है। वर्तमान में भवन पर राजस्व विभाग का कब्जा है, लेकिन भवन की हालत नहीं सुधारी जा रही है। अब हाल यह है कि बेशकीमती तराशे हुए पत्थर और दरवाजों और खिड़कियों की लकड़ी को दीमक चट कर गई है। छत के स्लेट गिर कर कमरों के अंदर ढेर लगे हैं, लेकिन राजस्व विभाग इससे बेखबर है। अब कभी भी भारी बारिश में यह भवन धराशायी हो सकता है। रमेश कुमार, लालमन, दीनानाथ, धर्म ¨सह, भीमसेन सहित अन्य लोगों ने प्रदेश सरकार से इस भवन को गिराकर आधुनिक भवन बनाने का आग्रह किया है।
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वर्तमान भवन को गिराकर नए भवन का प्रारूप तैयार कर लिया गया है। इसके बाहर से प्रस्तावित पार्किंग स्थल के लिए सड़क भी निकाली जाएगी।
-हुसन चंद चौधरी, तहसीलदार।